________________
। जिन सूत्र भाग:
1
ARTHRUM
न सकी। और जहां भी चली वहीं उपद्रव हुआ। जनता ने कहा, का काम है। जो मिटने को राजी हों, उनके लिए मेरा निमंत्रण है। पैसे वापस!
जिनको अभी जीवेषणा है, वे कहीं और जाएं। और ठीक है कि नहीं, भीड़ को एकत्रित करना हो तो निकृष्ट होना जरूरी है। वे यहां न आएं, क्योंकि यहां वे व्यर्थ का उपद्रव करते हैं। सत्य साईंबाबा के पास भीड़ इकट्ठी होगी; क्योंकि तम्हारी जो | मेरे पास भी कभी-कभी इतने बंधनों के बाद भी लोग आ जाते क्षुद्रतम आकांक्षाएं हैं उनकी तृप्ति का भरोसा है। भरोसा दिया हैं, इतने इंतजाम के बाद भी आ जाते हैं। कहते हैं कि ध्यान के जा रहा है, आश्वासन दिया जा रहा है। किसी को मुकदमा संबंध में समझना है। लेकिन जब पूछने मेरे पास पहुंच जाते हैं, जीतना है। किसी को सुंदर पत्नी पानी है। किसी को धन कमाना | तो मैं उनसे कहता हूं, 'सच में ही ध्यान के संबंध में समझना है। किसी को बीमारी मिटानी है। आदमी की जो सामान्य जीवन है?' अब वे कहते हैं, 'अब आप से क्या छिपाना...सब तरह की चिंताएं हैं...तो सत्य साईंबाबा के पास लगता है कि पूरी की कोशिश कर रहा हूं, लेकिन दीनता नहीं मिटती, दारिद्र नहीं होंगी। चमत्कार घटते हैं। स्विस घड़ियां हाथ में आ जाती हैं। मिटता। कुछ आशीर्वाद दे दें!' सूने आकाश से राख आ जाती है। वस्तुएं निकल आती हैं। तो आते हैं ध्यान को पूछने। शायद उन्हें भी साफ नहीं है कि जो आदमी ऐसा चमत्कारी है उससे आशा बंधती है कि जो शून्य उनकी जो अशांति है, वह अशांति ध्यान के लिए नहीं है, वह से घड़ियां निकाल देता है, उसे क्या असंभव है! अगर उसकी | अशांति धन के लिए है। धन नहीं है, इसलिए अशांत हैं। कृपा हो जाए तो तुम्हारे ऊपर धन भी बरस सकता है। अगर पूछते हैं मुझसे लोग कि 'ध्यान करेंगे तो सफलता मिलेगी उसकी कृपा हो जाए तो तुम मुकदमा भी जीत सकते हो। अगर जीवन में?' जीवन की सफलता के लिए ध्यान को साधन उसकी कृपा हो जाए तो तुम्हारी बीमारी भी दूर हो सकती है। यह बनाना चाहते हैं। ध्यान तो उनके लिए है जिन्होंने यह जान लिया आश्वासन जगता है। यह मदारीगिरी है; तुम्हारे भीतर वह जो कि जीवन का स्वभाव असफलता है-हारे को हरिनाम! छुपी हुई वासनाएं हैं, उनको सुगबुगाती है।
| जिन्होंने जान लिया है कि जीवन में तो हार ही हार है, यहां जीत स्वभावतः भीड़ इकट्ठी हो जाती है। क्योंकि भीड़ बीमारों की होती ही नहीं! है। भीड़ अदालतबाजों की है। भीड़ धन के पागल प्रेमियों की मैं तुम्हें किसी तरह के धोखे देने में उत्सुक नहीं हूं। कोई कारण है। भीड़ पद के आकांक्षियों की है। तो राजनेता भी पहुंच जाता भी नहीं है कि तुम्हें धोखा दूं, क्योंकि भीड़ में मेरी कोई उत्सुकता है चरण छूने, क्योंकि मुकदमा उसको भी लड़ना है, चुनाव नहीं है। मैं इधर अकेला हूं, तुम भी अगर अकेले होने के लिए उसको भी जीतना है। कोई आशीर्वाद, ईश्वर का भी सहारा मिल | राजी हो गए हो तो मेरे पास आओ। जाए उसे। वह भी ताबीज ले आता है। वह भी भभूत ले आता | तो ठीक ही है, लोग कहेंगे कि मैं धर्म को भ्रष्ट कर रहा हूं। है, संभालकर रख लेता है।
और निश्चित ही मैं ऐसी बातें कह रहा हूं, कि जो धर्म समझा दिल्ली में ऐसा एक भी राजनीतिज्ञ नहीं है, जिसका गुरु न हो। जाता रहा है वह भ्रष्ट होगा। वह होना चाहिए। वह धर्म नहीं और जब कोई राजनीतिज्ञ जीत जाता है, तब तो भूल भी जाए; ! है। जो बातें मैं कह रहा हूं, वे अजनबी हैं। लेकिन जब हार जाता है तो गुरुओं के चरणों में जाने लगता है। शरहे-फिराक मदहे-लबे-मुश्कबू करें कहीं से कोई आशा की किरण...।
गुरबतकदे में किससे तेरी गफ्तग करें। स्वभावतः मेरे पास तुम किसलिए आओगे?
जैसे कोई परदेस में खो गया, जहां न कोई अपनी भाषा न मैं तुम्हारी बीमारी दूर करूंगा, न मैं तुम्हें मुकदमे जिताऊंगा, समझता है, न अपनी कोई शैली समझता है-वहां अगर तुम न तुम्हारे लिए सुंदर पत्नियों की तलाश करूंगा, न तुम्हारे लिए अपने प्रेमी की चर्चा करने लगो और अपने प्रेमी की जुदाई की धन का आयोजन करनेवाला हूं-उलटे तुम्हारे पास जो होगा | बात करने लगो, कौन समझेगा? और वहां अगर तुम अपने वह भी ले लूंगा।
प्रेयसी और प्रेमी के सुगंधित ओंठों का वर्णन करने लगो, महिमा यहां तो तुम्हें कुछ छोड़ना होगा। यहां तो थोड़े-से हिम्मतवरों का गान करने लगो, कौन समझेगा?
212
Main Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org .