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जिन सूत्र भागः1
फिर, तुम्हारा खयाल है कि यह पत्नी तुम्हारे सुख का आधार अपने उत्तरदायित्व को टालने की बातें हैं। थी। यह भी तुम्हारा खयाल है। क्योंकि सुखी आदमी को कोई | महावीर, पतंजलि, बुद्ध इस प्रौढ़ता को उपलब्ध हुए कि उन्होंने सुख का आधार नहीं चाहिए। सुख भीतर से उमगता है। और कहा कि छोड़ो बकवास, तुम जुम्मेवार हो! और ये बहाने तुम जो दुखी आदमी कितने ही आधार खोज ले, सुखी नहीं हो पाता। तो खोजते हो दूसरों पर टालने के, इनसे कुछ राहत नहीं मिलती, पत्नी तो तुम्हारे सुख का आधार न थी। तुम्हारी कल्पना का, इनसे सिर्फ धोखा पैदा होता है। इनसे ऐसा लगता है, अब हम तुम्हारी भावना का, तुम्हारी वासना का-भला पर्दे की तरह करें क्या; दूसरों ने किया है, हमारे किए क्या होगा! निराशा पैदा काम किया हो पत्नी ने तुम्हारी अपनी वासना को फैलने के लिए; | होती है। गुलामी पैदा होती है। और एक गहन हताशा पैदा होती पत्नी ने तुम्हें मौका दिया हो कि फैला लो अपनी वासना को मेरे है। अब करेंगे क्या? अब इतिहास को बदलने का तो कोई ऊपर, लेकिन तुम्हारे सुख और दुख, तुम्हारे भीतर से उमगते हैं। उपाय नहीं। अब अर्थव्यवस्था तो आज बदलेगी नहीं, बदलने
आदमी को कठिनाई है यह बात मानने में। आदमी चाहता है, में बदलनेवाले तो मर ही जाएंगे। जिन्होंने रूस में क्रांति लायी, कोई और जुम्मेवार हो। कोई भी हो जुम्मेवार, कोई और जुम्मेवार वे तो मर चुके; और जो आज जिंदा हैं, वे तड़फ रहे हैं। वे हो। इतिहास हो जुम्मेवार चलेगा।
परतंत्रता से दबे हैं। लेनिन सोचकर मरा होगा कि हम बड़ा भारी पश्चिम में जितने विचार पैदा हुए, उन सब में कोई और काम करके जा रहे हैं। लेकिन जो आज उनके बच्चे हैं, वे आज जुम्मेवार है।
परतंत्रता से दबे हैं; वे स्वतंत्र होने के लिए छटपटाते हैं। ईसाइयत कहती है, अदम और ईव को शैतान ने भड़काया और सोल्जेनित्सिन से पूछो। कारागृहों में पड़े हैं। शैतान ने कहा कि खा लो यह ज्ञान के वृक्ष का फल। उसने | लेनिन ने तो सोचा था कि बड़ा सुंदर समाज निर्मित होगा, उकसाया। भोले-भाले अदम और ईव उसकी बातों में आ गए। लेकिन वह हुआ नहीं। वह कभी होनेवाला नहीं, क्योंकि शैतान जुम्मेवार है। लेकिन कोई शैतान से पूछो। शैतान तो अब बुनियादी बात गलत है। दूसरा जम्मेवार है, जिस शास्त्र का यह तक कुछ भी बोला नहीं है। नहीं तो शैतान भी कुछ जुम्मेवारी | आधार है, वह शास्त्र गलत है। बताएगा, किसी और पर टालेगा।
फ्रायड ज्यादा ईमानदार है इस हिसाब से। फ्रायड ने अपने अदम कहता है, ईव ने फुसलाया मुझे। अब पत्नी है, इसकी जीवन के अंतिम दिनों में लिखा कि आदमी कभी सुखी नहीं हो बातों में कौन नहीं आ जाए, आ ही गए! ईव कहती है, मैं क्या | सकता। हो ही नहीं सकता। यह असंभव है। क्योंकि इतने करूं, शैतान सांप की शकल में आया और मुझे फुसलाया। कारण हैं आदमी के दुखी होने के, उन कारणों को कब बदला जा सांप बेचारा मौन है; उसके पास जबान नहीं, नहीं तो वह भी | सकेगा, कौन बदलेगा, कैसे बदलेगा? असंभव है। जाल बहुत कहता कि किसने मुझे फुसलाया, शैतान ने मुझे फुसलाया। बड़ा है, आदमी बहुत छोटा है। लेकिन कहीं न कहीं बात सरकती जाती। और यह कहानी | फ्रायड की हताशा देखते हो-जीवन भर की चेष्टा, खोज के कहानी नहीं रही है, यह पूरे पश्चिम के इतिहास पर फैली है। बाद जब कोई आदमी कहता है कि आदमी कभी सुखी न हो हीगल कहता है, इतिहास जुम्मेवार है, जो भी दुख हो रहा है सकेगा, सुख सिर्फ कल्पना है, भुलावा है, आदमी दुखी ही उसके लिए। मार्क्स कहता है, अर्थव्यवस्था जुम्मेवार है। | रहेगा...! फ्रायड कहता है, गलत संस्कार जुम्मेवार हैं। मां-बाप ने जो लेकिन महावीर, बुद्ध, पतंजलि कहते हैं : आदमी परम आनंद व्यवहार किया है बच्चों के साथ, वह जुम्मेवार है। लेकिन कोई | को उपलब्ध हो सकता है। पर उसके पहले एक बहुत जरूरी न कोई जुम्मेवार है!
बात समझ लेनी जरूरी है-वह यह कि मैं जम्मेवार है। टालो अभी पश्चिम का मनोविज्ञान इतना प्रौढ़ नहीं हुआ कि कह मत, हटाओ मत! तथ्य को स्वीकार करो। क्योंकि अगर मैं सके कि तुम जुम्मेवार हो। इसके लिए बड़ी हिम्मत चाहिए, बड़ी जुम्मेवार हूं अपने दुख का, तो मेरे हाथ में बागडोर आ गई; अब प्रौढ़ता चाहिए। ये बचकानी बातें कि कोई और जुम्मेवार है, मैं वे काम बंद कर दूं जिनसे दुख पैदा होता है; वे बीज बोना बंद
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