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कच्छ-महाकच्छ
भगवान ऋषभदेव के साथ दीक्षित होने वाले दो राजा। सुदीर्घ काल तक भोजन न मिल पाने के कारण ये संयम से चलित होकर कन्दमूलादि का आहार करने लगे। इस प्रकार जैनेतर संन्यासी परम्परा का प्रारंभ
हुआ।
कटक
काशीदेश का राजा। (दखिए-ब्रह्मराजा) कटकवती
ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती की एक रानी। (देखिए-ब्रह्मराजा) कटपूतना ____एक व्यंतरी जो शालिशीर्ष ग्राम के बाहर उद्यान में रहती थी। साधना काल के छठे वर्ष में जब भगवान महावीर उस उद्यान में ध्यानावस्थित थे तो उस व्यंतरी ने भगवान को अनेक लोमहर्षक उपसर्ग दिए थे। कदम्ब नरेश
ईसा की दूसरी सदी में वनवास प्रदेश में कदम्ब राजवंश की स्थापना हुई। इस राजवंश का संस्थापक पुक्कण अपरनाम त्रिनेत्र माना जाता है। इस राजवंश में कई नरेश हुए। उनमें से अधिकतर नरेश जैन धर्म से विशेष रूप से प्रभावित थे। कुछ नरेशों ने प्रव्रज्या भी धारण की थी।
कदम्ब वंश के कुछ राजाओं के नाम इस प्रकार हैं-काकुत्स्थवर्मन कदम्ब, मृगेशवर्मन कदम्ब, हरिवर्मन कदम्ब, देववर्मन आदि। ये सभी नरेश जैन आचार्यों का विशेष मान करते थे। इन्होंने कई जिनालयों का निर्माण कराया और दान में भूमियां प्रदान की। कनककेतु
सावत्थी नगरी का राजा और खंधक मुनि का जनक। (देखिए-खंधक मुनि) कनकतिलका __ तिलकानगरी नरेश महाराज विद्युत्गति की अर्धांगिनी। (देखिए-मरुभूति) (क) कनकध्वज
पृथ्वीभूषण नगर का राजा। (देखिए-सुनन्दा) (ख) कनकध्वज
कनकरथ का पुत्र। (देखिए-तेतलीपुत्र) कनकप्रभा (आर्या) इनका समग्र परिचय कमला आर्या के समान है। (देखिए-कमला आया)
-ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र, द्वि.श्रु., वर्ग 5, अ. 16 कनकमंजरी
एक वृद्ध चित्रकार चित्रांगद की अत्यन्त बुद्धिमती और चित्रकारिता में निपुण कन्या, जिसकी बुद्धिमत्ता ... जैन चरित्र कोश ...
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