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ने अपने पराक्रम से निशुंभ की विशाल सेना को परास्त कर दिया और निशुंभ को मारकर पूर्वजन्म के बदले के साथ-साथ वासुदेव का पद भी पाया। पुरुषसिंह ने लम्बे समय तक तीन खण्ड पर शासन किया। उसके राज करने का ढंग अत्यन्त कठोर था। परिणामतः वह मरकर छठी नरक में गया।
सुदर्शन भाई की मृत्यु के पश्चात् विरक्त हो गए और संयम लेकर चारित्र पालन करने लगे। तप और संयम की निरतिचार आराधना से उन्होंने कैवल्य को साधकर मोक्षपद प्राप्त किया।
-त्रिषष्टि शलाका पुरुष चरित्र
पुरुषसेन
वसुदेव और धारिणी के पुत्र। शेष परिचय जालिकुमार के समान है। (देखिए-जालिकुमार)
-अन्तकृद्दशांगसूत्र वर्ग 4, अध्ययन 4 पुरुषोत्तम (वासुदेव)
चतुर्थ त्रिखण्डाधीश वासुदेव । ये द्वारिका नरेश महाराज सोम की रानी सीता के अंगजात थे। इनके एक सौतेले भाई थे, जिनका नाम था सुप्रभ। दोनों भाइयों की माताएं भले ही अलग-अलग थीं, पर दोनों भाइयों में परस्पर अनन्य अनुराग था। ___उस युग में मधु नामक एक अत्यन्त बलशाली राजा था और वह प्रतिवासुदेव था। मधु और पुरुषोत्तम में राज्य के लिए वैमनस्य जागा। फलतः महाभयंकर युद्ध हुआ और उस युद्ध में पुरुषोत्तम विजयी हुए। पुरुषोत्तम मधु को मारकर वासुदेव बने। वस्तुतः पुरुषोत्तम और मधु का यह वैमनस्य पूर्वजन्म से ही चला आ रहा था। पूर्व के एक जन्म में पुरुषोत्तम कौशाम्बी नगरी का राजा समुद्रदत्त था। उसकी रानी का नाम नंदा था। समुद्रदत्त का नंदा पर अतिशय प्रेम था। समुद्रदत्त का एक मित्र था चण्डशासन, जो मलय देश का राजा था। एक बार चण्डशासन समुद्रदत्त से मिलने कौशाम्बी आया। काफी समय बाद दो मित्र मिले थे। समुद्रदत्त के प्रेमपूर्ण आग्रह पर चण्डशासन कुछ दिनों के लिए कौशाम्बी में ठहर गया। इसी दौरान चण्डशासन की दृष्टि नंदा पर पड़ी और वह उसके रूप पर मुग्ध हो गया। फिर एक दिन अनुकूल अवसर पाकर उसका अपहरण कर अपने देश ले गया। मित्र के इस विश्वासघाती आचरण से समुद्रदत्त को बहुत कष्ट हुआ। अन्ततः कष्ट से वैराग्य अंकुरित हुआ और समुद्रदत्त राजपाट को ठोकर मारकर मुनि बन गया। उसने कठोर तप किया, पर मित्र के प्रति रहा हुआ रोष उसके हृदय में बना रहा। उसने चण्डशासन से बदला लेने के संकल्प के साथ देहोत्सर्ग किया। वहां से आयुष्य पूर्ण कर वह देव बना, और देवायुष्य पूर्ण कर पुरुषोत्तम के रूप में जन्मा। चण्डशासन विभिन्न जन्म-मरण करता हुआ मधु के रूप में जन्मा। यहां मधु का वध कर पुरुषोत्तम ने अपना प्रतिशोध पूर्ण किया। ___ भोग-विलास और युद्धों से भरा जीवन जीकर पुरुषोत्तम वासुदेव छठी नरक में गया। सुप्रभ ने संयम लेकर सर्वकर्म खपा दिए और मोक्षपद पाया।
-त्रिषष्टि शलाका पुरुष चरित्र 4/4 पुष्पवती (आर्या) इनका समग्र परिचय कमला आर्या के समान है। (देखिए-कमला आया)
-ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र, द्वि.श्रु., वर्ग 5, अ. 24 पुष्पसेन
वसन्तपुर नगर के राजा चतुरसेन का पुत्र, साहसी और शूरवीर राजकुमार । एक बार किसी कलाकार ... 342 .0
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