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युवक था । अनुश्रुति है कि वह प्रतिदिन नया कुआं खोदकर अपने पिता को पानी पिलाता था । नागकुमार देवों के कोप के कारण उसे अकाल मृत्यु झेलनी पड़ी। (देखिए - सगर चक्रवर्ती)
जमदग्नि ऋषि
महाभारत और पुराणों में वर्णित एक ऋषि । पुत्र के बिना गति नहीं, इस सिद्धान्त से प्रेरित बनकर उसने वृद्धावस्था में रेणुका नामक राजकुमारी से विवाह रचाया। रेणुका से उसे जिस पुत्र की प्राप्ति हुई वह परशुराम था, उसी ने सात बार पृथ्वी को क्षत्रियहीन बनाया था। जैन कथा साहित्य के अनुसार कृतवीर्य ने जमदग्नि का वध किया था। (देखिए -सुभूम)
जमाली (निन्हव)
क्षत्रियकुण्डग्राम का एक क्षत्रिय युवक, जो भगवान महावीर का संसार - पक्षीय भानजा और जामाता था। भगवान महावीर के उपदेश से प्रभावित बनकर उसने पांच सौ क्षत्रिय युवकों के साथ श्रमणधर्म अंगीकार किया। पर कुछ ही काल बाद वह भगवान के सिद्धान्त 'क्रियमाण कृत' के विपरीत प्ररूपणा करने लगा और स्वयं को सर्वज्ञ घोषित करने लगा। उसने इन्द्रभूति गौतम से शास्त्रार्थ भी किया और उसमें पराजित हुआ । उसकी पत्नी प्रियदर्शना ( भगवान की संसारपक्षीय पुत्री) भी एक हजार श्रमणियों के साथ उसके साथ आ मिली। पर श्रमणोपासक ढंक गाथापति के समझाने पर उसे सत्य का बोध हो गया और वह भगवान के पास लौट आई। जमाली जिनवाणी के विरुद्ध प्ररूपणा करने के कारण निन्हव कहलाया ।
(क) जयन्ती
(देखिए - दत्त वासुदेव) (ख) जयन्ती (ब्राह्मणी)
अकंपित गणधर की जननी ।
(ग) जयन्ती (परिव्राजिका)
महावीरकालीन एक परिव्राजिका । (देखिए - सोमा परिव्राजिका)
(घ) जयन्ती ( श्राविका )
कौशाम्बी नरेश महाराज शतानीक की बहन, उदयन की बुआ और भगवान महावीर की प्रमुख श्राविका । भगवती सूत्र के अनुसार वह भगवान महावीर के साधुओं की प्रथम शय्यादाता तथा तत्त्वज्ञा महिला थी । उसने भगवान महावीर से अनेक तात्त्विक तथा पैने प्रश्न किए थे। प्रथमतः उसने श्रावक धर्म अंगीकार किया तथा बाद में दीक्षा धारण कर कैवल्य साधकर सिद्धि प्राप्त की ।
जयन्ती द्वारा भगवान महावीर से पूछे गए कुछ प्रमुख प्रश्न निम्नरूप में हैं
जयन्ती - भंते! जीव भारी कैसे होता है?
महावीर - अठारह पाप स्थानों का सेवन करने से । जयन्ती - भंते! जीव हल्का कैसे होता है?
महावीर - अठारह पाप स्थानों से विरत होने से ।
जयन्ती - भगवन् ! सोना अच्छा है या जागना ? ••• जैन चरित्र कोश -
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