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गणिका को दण्डित भी किया। पोतनपुर नरेश की दृष्टि भी गुणमाला को देख मैली हो गई। उसने शक्ति के बल पर गुणमाला को अपनाना चाहा तो गुणसेन ने उसे भी दण्डित किया।
गुणसेन और गुणमाला विलासपुर नगर गए। पुण्ययोग से गुणसेन विलासपुर का राजा बन गया। यहीं से एक बार एक विद्याधर ने गुणमाला का अपहरण कर लिया। गुणमाला ने अनेक कष्ट सहकर भी अपने शीलधर्म को अक्षण्ण रखा। आखिर गुणमाला और गुणसेन का पुनर्मिलन हुआ।
कालान्तर में गुणसेन ने सिंहरथ को पराजित कर गुणमाला के समक्ष प्रस्तुत किया। सिंहस्थ का मिथ्या दर्प गल गया और उसने पुत्री से क्षमा मांगी। उसने गुणसेन को राज्य प्रदान कर दीक्षा धारण कर ली। ___वहां से गुणसेन गुणमाला के साथ अपनी जन्मभूमि राजपुर नगर पहुंचा। पिता-माता पुत्र को देखकर गद्गद हो गए। विमाता ने अपना अपराध स्वीकार कर गुणसेन से क्षमा मांगी। वीरधवल ने पुत्र का राजतिलक किया और अपनी दोनों रानियों के साथ प्रव्रजित हो गया।
गुणसेन तीन साम्राज्यों का स्वामी था। उसने न्याय और धर्मनीति से सुदीर्घ काल तक प्रजा का पुत्रवत् पालन किया। गुणमाला ने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम गुणविलास रखा गया। गुणविलास के युवा होने पर गुणसेन ने उसको राजपद देकर अपनी रानी गुणमाला के साथ आर्हती प्रव्रज्या धारण की और निरतिचार तपाराधना/संयमसाधना से मोक्ष प्राप्त किया। गुणरत्न (आचार्य)
वी.नि. की 20वीं सदी के एक मनीषी आचार्य। दर्शनशास्त्र और तर्कशास्त्र के वे पारगामी पण्डित मुनि थे। उन्होंने अपने जीवनकाल में कई उत्कृष्ट ग्रन्थों की रचना की। कल्पान्तर्वाच्य, तर्क रहस्य दीपिका, क्रियारत्न समुच्चय आदि उनके प्रमुख ग्रन्थ हैं। उन्होंने चार अन्य ग्रन्थों पर अवचूरि की भी रचना की। ___गुणरत्नाचार्य तपागच्छ के आचार्य थे और उनके गुरु का नाम देवेन्द्र सूरि था। वी.नि. 1912 में आचार्य पद पर उनकी नियुक्ति हुई। अवचूरि साहित्य की रचना उन्होंने वी.नि. 1929 में तथा 'क्रियारत्न समुच्चय' की रचना 1936 में की। इन उल्लेखों के अनुसार प्रमाणित होता है कि वे वी.नि. की 20वीं सदी के पूर्वार्द्ध के आचार्य थे।
गुणवती
प्रतिवासुदेव मधु की जननी। गुणसागर ___उज्जयिनी नगरी का रहने वाला एक श्रेष्ठी पुत्र । अपने धीर, वीर, गम्भीर और विनीत स्वभाव व व्यवहार से गुणसागर सभी का प्रीतिपात्र था। उसके पिता का देहान्त तब हो गया था, जब वह मातृगोद में खेलता था। माता भद्रा ने ही उसका पालन-पोषण और शिक्षण-दीक्षण किया। ___एक दिन गुणसागर भोजन करने बैठा तो माता ने कहा, क्या बासी भोजन ही खाता रहेगा, बासी खाने से क्या लाभ? माता की उक्त पहेली का रहस्य गुणसागर समझ न सका। उसने माता से उसके कथन का रहस्य सूत्र स्पष्ट करने को कहा। माता ने कहा, इस कथन का रहस्य सूत्र तुम्हें नगर के बाहर उपवन में पदार्पित आचार्य सुमतिसागर बताएंगे, वहां जा! माता को नमन कर गुणसागर आचार्य श्री के पास पहुंचा। उसने आचार्य श्री का प्रवचन सुना। श्रोताओं के चले जाने पर गुणसागर ने माता के कथन का रहस्य आचार्य ... 146 -
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