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२६ । शावर तन्त्र शास्त्र
मन्त्र-उत्कीलन विधि (१)
प्रसिद्ध है कि कलियुग में महादेवजी ने सभी मन्त्र कील दिये हैं, अतः वे फलदायक सिद्ध नहीं होते। परन्तु यदि उनका उत्कीलन कर दिया जाय तो वे सद्य फलप्रद सिद्ध होते हैं। अत: यहाँ उत्कीलन की विधियाँ लिखी जाती हैं। किसी भी मन्त्र का साधन करने से पूर्व उसका नियमानूसार उत्कीलन कर लेने से सिद्धि. एवं सफलता शीघ्र तथा अवश्य प्राप्त होती है।
जिस मन्त्र को जपना हो उसे अष्टगन्ध द्वारा भोजपत्र के ऊपर १०८ बार लिखकर धूप, दीप, नैवेद्य आदि से उसका पूजन करके, ब्राह्मण भोजन करायें। फिर एक मिट्टी के पात्र में पानी भर कर मन्त्र लिखित भोजपत्रों को उसमें डालते जायें अथवा उन्हें किसी नदी की धारा में प्रवाहित करदें तो उस मन्त्र का उत्कीलन हो जाता है।
अष्टगन्ध में निम्नलिखित वस्तुओं की गणना की जाती है
१. गोरोचन, २. कपूर, ३. हाथी का मद, ४. अगर, ५. कस्तूरी, ६. केशर, ७. लाल चन्दन और ८. श्वेत चन्दन।
___ मन्त्र-उत्कीलन विधि (२)
मिट्टी द्वारा पुरुष के आकार वाली इष्टदेव को प्रतिमा बनायें, फिर उसकी प्राण प्रतिष्ठा करें। तदुपरान्त शुभ मुहूर्त में भोजपत्र के ऊपर मन्त्र लिखकर, उसे प्रतिमा की छाती में लगाएँ तथा एक मास तक उसका धूप, दीप, नैवेद्य आदि से पूजन करें। तदुपरान्त गुरु की आज्ञा लेकर उस मन्त्र को तो स्वयं लेलें तथा प्रतिमा को नदी में बहाकर ब्राह्मण भोजन करायें। फिर मन्त्र का जप करें तो वह सिद्ध हो जायेगा।
___मन्त्र-उत्कोलन विधि (३)
मन्त्रो कोलन के लिए १० संस्कार करने का भी विधान है, उसके लिए हमारी पुस्तक 'हिन्दू तन्त्र शास्त्र' का अध्ययन करें। .
नजरबन्दी का मन्त्र (१)
............................. मन्त्र (१)-"ॐ नमो भगवते वासुदेव नागराजाय गोप कुण्डली
चलनानिनी स्वाहा ।"
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