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(116) विविध जंगली जानवरों से युक्त तथा विभिन्न वृक्षावलियों से सुशोभित
भीमावटी-वन की एक खुरदरी शिला पर पार्श्व-मुनि कायोत्सर्ग-मुद्रा में ध्यानस्थ हो गये
135 (117) असुराधिपति मेघमाली (-कमठ) क्रीड़ा-विहार करता हुआ उस भीमाटवी
वन में आया (118) पार्श्व मुनीन्द्र की असाधारण तपश्चर्या के प्रभाव से असुराधिपति मेघमाली
(कमठ) का विमान बीच में ही अवरुद्ध हो जाता है (119) सौमनस नामक यक्ष ध्यानस्थ पार्श्व पर उपसर्ग न करने के लिये
असुराधिपति मेघमाली को समझाता है (120) सौमनस-यक्ष असुराधिपति को पार्श्व मुनीन्द्र पर उपसर्ग न करने की पुनः सलाह देता है
140 (121) असुराधिपति मेघमाली द्वारा अनिच्छित सलाह के लिये सौमनस-यक्ष की भर्त्सना
142 (122) बज्र-प्रहरण असफल होने पर वह असुराधिपति मेघमाली पार्श्व-मुनीन्द्र पर असाधारण मेघवर्षा कर उपसर्ग करता है
143 असुराधिपति मेघमाली द्वारा पार्श्व-मुनीन्द्र पर किये गये दुर्धर मेघोपसर्ग के असफल हो जाने पर प्रचण्ड वायु द्वारा पुनः उपसर्ग
144 (124) असुराधिपति प्रहरणास्त्रों से जब पार्श्व को तपस्या से न डिगा सका, तब वह रूपस्विनी अप्सराएँ भेजकर उन पर पुनः उपसर्ग करता है ।
145 ध्यानस्थ पार्श्व-मुनीन्द्र पर उन रूपस्विनी अप्सराओं के भाव-विभ्रमों का भी कोई प्रभाव नहीं पड़ा
147 जब रूपस्विनी अप्सराएँ भी पार्श्व को ध्यान से विचलित न कर सकीं, तब वह दुष्ट कमठासुर अग्निदेव के द्वारा उपसर्ग करने का असफल प्रयत्न करता है। 148 असुराधिपति द्वारा प्रेषित अग्निदेव-कृत उपसर्ग के निष्प्रभावी हो जाने के बाद पुनः उपसर्ग हेतु भेजा गया रौद्र-समुद्र पार्श्व के तपस्तेज से प्रभावित होकर उनके चरणों का सेवक बन जाता है
149 (128) विकराल श्वापद-गण भी पार्श्व प्रभु को उनकी तपस्या से विचलित न कर सके 151 (129) वैतालों द्वारा उपसर्ग कराये जाने पर भी जब असुराधिपति वह कमठ पूर्णतया
असफल हो गया, तब क्रोधारक्त होकर वह अपना अधरोष्ठ चबाने लगा (130) निराश एवं उदास वह कमठासुर घने मेघों को आमन्त्रित कर उनके माध्यम से पार्श्व पर उपसर्ग करता है
154 (131) सधन-मधा का आलका सघन-मेघों का आलंकारिक वर्णन
155 (132) सजल-मेघ का महाउपसर्ग
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आठवीं सन्धि (पृष्ठ 159-174) (133) स्वर्ग में धरणेन्द्र का सिंहासन कम्पित हो उठता है (134) धरणेन्द्र शीघ्र ही उपसर्ग-स्थल पर पहुँचता है
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76: पासणाहचरिउ