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9/10 The life of different heavenly lords (Devas), planets (Grahas) and constellations (Naksatras).
एत्तियाइँ मणिमय जिणगेहइँ एक्कु मयरहर असुरकुमारहँ सड्ढउ बेण्णि सुवण्णकुमारहँ होइ दिवड्ढ-दिवड्दु जि सेसहँ विंतराण एक्कु वि पल्लोवम दह-सहास वरिसइँ सामण्ण चंदहो एक्कु पल्लु सुपसिद्धउ दह-सय वरिस अहिउ दिणदीवहो किंचूणउ सुरगुरुहे समक्खिउ पल्लहो-पाउ समीरिउ-देवें पल्लहो अट्ठम भाउ वहण्ण
फुल्ल-पयर-परिभमिय दुरेहइँ ।। आउ ति-पल्लइ णायकुमारहँ ।। तहय बेण्णि पुणु दीवकुमारहँ।। णयण-सुहावण उत्तमवेसहँ।। उत्तमाउ पयडियउ मणोरमु।। जिणवरु मुएवि ण जाणिउ अण्णे।। वरिसहँ सय-सहसेहिँ समिद्धउ।। सय वरिस ण समग्गलु सुक्कहो।। सेस गहहँ पल्लङ्घ ण रक्खिउ।। तारायणहो तिलोय सुसेवें।। भासिउ तित्थयरेण विसणें ।।
घत्ता- सोहम्मीसाणहँ बि हि सग्गहँ बे-सायर।
उप्परि बि हि सत्त वासइ सुहायर ।। 154 ।।
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देवों और ग्रहों-नक्षत्रों का आयु-प्रमाणवहाँ पर समस्त जिन मंदिर मणि-जटित बने हुए हैं। उनके उद्यानों में पुष्प-पराग पर भ्रमर परिभ्रमण करते रहते हैं। असुरकुमारों की उत्कृष्ट आयु एक सागरोपम है। नाग कुमारों की तीन पल्योपम, सुपर्ण कुमारों की अढ़ाई पल्योपम, द्वीपकुमारों की दो पल्योपम और नेत्रों के लिए प्रिय उत्तम वेश वाले शेष कुमार देवों की डेढ़ पल्योपम प्रमाण है।
व्यंतर देवों की मनोरम उत्कृष्ट आयु एक पल्योपम तथा जघन्य आयुष्क दस हजार वर्ष का है। जिनेन्द्र को छोड़कर यह (तथ्य) अन्य कोई नहीं जानता।
कला-समृद्ध चन्द्रमा की उत्कृष्ट आयु एक लाख वर्ष सहित एक पल्योपम, दिन-दीपक (सूरज) की एक हजार वर्ष अधिक एक पल्य की है। शुक्र की एक सौ वर्ष अधिक एक पल्य की है।
बृहस्पति की कुछ कम एक पल्य है। शेष बुध, मंगल, शनिश्चर का आयुष्क आधा पल्योपम है। वायुदेव की आयु चौथाई पल्य बतलाई है। त्रिलोक पूजित तारागणों की आयु एक पल्य का आठवाँ प्रमाण है, ऐसा तीर्थकर ने कहा है। घत्ता- वैमानिक देवों की आयु इस प्रकार है। सौधर्म और ईशान स्वर्गों में दो सागरोपम (कुछ अधिक), सानत्कुमार
और माहेन्द्र स्वर्गों में सात सागरोपम (कुछ अधिक) आयु है। ।। 154 ।।
184 :: पासणाहचरित