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Blessings to Sāhu Nattala, the inspirer ग्रन्थ-प्रेरक साहु नट्टल-प्रशस्ति और उसे कवि का आशीर्वाद
आसीदत्रपुरा प्रसन्न वदना व्याख्या प्रदत्ता श्रुतिः। शुश्रूषादि गुणैरलंकृतमनादेवो गुरुभक्तिकः ।। सर्वज्ञक्रमकंजयुग्म निरतन्यायान्वितो नित्यशः ।
जेजाख्योऽखिलचन्द्ररोचिरमलः स्फूर्जद्यशो भूषितः ।। 1।। पुराकाल में इसी दिल्ली प्रदेश में जेजा नाम के एक सुप्रसिद्ध साहू हुए, जो अत्यन्त हँसमुख, श्रुतागमों की व्याख्या कराने वाले, शुश्रूषादि गुणों से अलंकृत मनवाले, देव एवं गुरु की भक्ति करनेवाले, सर्वज्ञों के युगल-चरणकमलों में अहर्निश निरत, न्यायमार्ग से चलने वाले और जो पूर्णमासी के चन्द्रमा की निर्मल किरणों के समान स्फुरायमान धवल-यश से विभूषित थे।। 1 ।।
तस्यांगजोऽजनि सुधीरिह राघवाख्यो। ज्यायान् मन्दमतिरुज्झित सर्वदोषः ।। अग्रोतकान्वयो नभोंऽगण पार्वणेन्दुः।
श्रीमान्नेको गुणरंजित-चारु चेतः ।। 2 ।। उन जेजा साहू के यहाँ राघव नाम का प्रथम पुत्र हुआ, जो ख्याति प्राप्त, सुधी-विद्वान्, कुशल, प्रतिभा सम्पन्न एवं सप्त-व्यसनादि दोषों से रहित था। वह अग्रोतकान्वय (अग्रवाल-कुल) रूपी नभांगण का पूर्णमासी के चन्द्रमा के समान सुशोभित था, श्रीसम्पन्न था, अनेक गुणों से रंजित तथा संवेदनशील-चित्त वाला था।। 2 ।।
ततोऽभवत् सोढलनामधेयः सुतो द्वितीयो द्विषतामजेयः ।
धर्मार्थकामत्रितये विदग्धो जिनाधिपः प्रोक्त वृषेण मुग्धः ।। 3 ।। तत्पश्चात् जेजा साहू का सोढल नामका द्वितीय पुत्र उत्पन्न हुआ, जो शत्रुओं के लिये अजेय था। वह धर्म, अर्थ एवं काम इन तीनों पुरुषार्थों में विदग्ध तथा जिनाधिप-प्रणीत धर्म में मुग्ध रहने वाला था।। 3 ।।
पश्चाद्बभूव शशिमंडलभासमानः। ख्यातः क्षितीश्वरजनादपि लब्धमानः।। सद्दर्शनामृतरसायनपान-पुष्टः।
श्री नट्टलः शुभमनः क्षपितारिदुष्टः ।। 4।। उसके बाद चन्द्रमण्डल की भाँति प्रकाशवान्, जगद्विख्यात, सम्राटों तथा प्रजाजनों द्वारा सम्मानित, सम्यग्दर्शन रूपी रसायन का पान कर सम्पुष्ट, शुभचित्त वाला तथा शत्रुजनों का विनाशक, श्रीसम्पन्न नट्टल नाम का तृतीय पुत्र उत्पन्न हुआ।। 4।।
तेनेदमुत्तमधिया प्रविचिन्त्य चित्ते। स्वप्नोपमं जगदशेषमसारभूतम् ।। श्रीपार्श्वनाथचरितं दुरितापनोदि । मोक्षायकारितमितेन मुदं व्यलेखि ।। 5 ।।
262 :: पासणाहचरिउ