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टक्क-2/18/10
विन्ध्य-4/12/5
278 :: पासणाहचरिउ
टक्क देश का नरेश राजा हयसेन के दरबार में पार्श्व के जन्म के उपलक्ष्य में उपहार लेकर बधाई देने हेतु उपस्थित हुआ था । उत्तराध्ययन सूत्र की सुख बोधा टीका में इसका उल्लेख मिलता है। डॉ. कनिंघम के अनुसार उक्त देश सिन्ध से लेकर व्यास नदी तक विस्तृत था । उन्होंने इसकी सीमा - रेखा उत्तरीय पर्वतों की तलहटी से लेकर दक्षिण में मुलतान तक निर्धारित की है। (देखें Ancient Geography, P. 125 )
पासणाहचरिउ में उल्लिखित विन्ध्याचल वही है, जो वर्तमान भूगोल के अनुसार है । यह पर्वत भारत को उत्तर एवं दक्षिण के रूप में विभाजित करता था। आदिपुराण के (29/88) के अनुसार इसके पश्चिमी छोर को लाँघकर भरत चक्रवर्ती ने लाट एवं सोरठ देश पर आक्रमण किया था ।