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The layout of Heavens
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description of sixteen Heavens situated one pair above the another.
पुणु लंतव-काविट्ठ सजिणहर ।। पुणु सयार-सहसार गुणायर ।। पुणु आरण-अच्चुय सुह-माणय ।। तिविह पयारें गेवज्जाय सुणु ।। पर-परियण मोहेण म मुज्झहि ।। बेरा - बेरोयण सोमक्खए ।। आइव्वाहु णवमु हउ दुक्खउ ।। अवरु वि वइजयंतु अवराइउ ।। पुणु सव्वत्थसिद्धि खेमंकरु ।। जो जिणवर मणहरहि महिज्जइ । ।
उअर बंभ-बंभोत्तर मणहर
पुणु वि सुक्क महसुक्क सुहायर उप्परेण पुणु आणय-पाणय पुणु वि पढम मज्झिमउ आरमि पुणु णव विह उअरि अणुत्तर बुज्झइ अच्चि-अच्चि मालिणि वि विक्खए सोमरुउ अक्कउ फलिहक्खउ पुणु विजयंतु जयंतु सयाहिउ मज्झि परिट्ठिउ चारु सुहंकरु तासुपरि सिवलोउ कहिज्जइ
घत्ता - सोहम्मि विमाणहेँ होंति लक्ख बत्तीसहँ । ईसाण समीरिया लक्खइ अट्ठाबीसहँ ।। 152 ||
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स्वर्ग-कल्पों की संरचना
उनके ऊपर ब्रह्म और ब्रह्मोत्तर ये दो मनोहर स्वर्ग कल्प हैं। उनके ऊपर जिन चैत्यालयों से युक्त लांतव एवं कापिष्ठ दो स्वर्ग कल्प हैं। उनके ऊपर सुखों की खान शुक्र एवं महाशुक्र ये दो स्वर्ग कल्प हैं। उनके ऊपर गुणों की खान शतार एवं सहस्रार ये दो स्वर्ग कल्प हैं।
उनके ऊपर आनत ओर प्राणत ये दो स्वर्ग कल्प हैं, फिर सुखों के मानक, आरण और अच्युत ये स्वर्ग कल्प
हैं।
पुनः उनके ऊपर प्रथम (अद्य) मध्यम ओर उपरिम (उर्ध्व) तीन प्रकार के ग्रैवेयक हैं एवं उनके भी ऊपर नव प्रकार के अनुद्दिश विमान हैं। ऐसा जानकर घर-परिजनों से मोह मत कर। अर्चि, अर्चिमालिनी, वइरा एवं वैरोचना ये पूर्व दिशा में स्थित हैं और सोमा, सोमरूपा, अर्क और स्फटिक ये प्रकीर्णक विमान तथा मध्य में आदिव्य नामक इन्द्रक विमान है।
अनुद्दिश विमानों के ऊपर चारों दिशाओं में 1) विजय 2 ) वैजयन्त 3 ) जयन्त और 4) अपराजित, ये चार विमान हैं। इन चारों के मध्य में मनोहर सुखकारी, कल्याणकारी सर्वार्थसिद्धि-विमान है। उसके ऊपर शिवलोक कहा गया है, जो जिनवर और गणधरों द्वारा महिमा मण्डित है।
182 :: पासणाहचरिउ
घत्ता - सौधर्म स्वर्ग में बत्तीस लाख विमान हैं, जबकि ईशान स्वर्ग में अट्ठाईस लाख विमान कहे गये हैं। ।। 152 ।।