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10/2 The forest-guard informs King Ravikīrti, the ruler regarding the
arrival of Lord Pārswa in the Royal garden (Nandan-Vana). जय-जय तिहुअण-सामियरवेण चउविह सुरविरइय उच्छवेण।। देवागमु जाणेवि जिणवरासु णिम्मल केवल-कामिणि वरासु ।। विण्णत्तउ वणिवालें तुरंतु । रविकित्ति णराहिउ विप्फुरंतु ।। णिव पुण्ण करेहि सया पसण्णु सिंहासण-सिहरोवरि णिसण्णु ।। सुणु सावहाणु मणु करिवि देव जसु पय-जुइ णिवडहिँ खयर-देव।। णहयले दुंदुहि वज्जइ रवालु छत्तत्तउ जसु उप्परि विसालु ।। जसु दिव्वाभास तिहुण पयास जसु भामंडल-सिरि भासियासि ।। जसु सिंहासणु मणिकिरण-हासु जसु पुष्फविट्टि णिवडइ णहासु।। जसु उवरि सहइ कंकेल्लिरुक्खु जसु चमराणिलु अवहरइ दुक्खु।। सो पासणाहु जिणु णंदणंते तुह तणए अज्जु णहयर रणंते।।
घत्तासंपत्तउ तम चत्तउ जो तेल्लोउ णियच्छइ।
जसु भत्तउ अणुरत्तउ जणु आणु पडिच्छइ।। 167 ||
10/2 वनपाल द्वारा राजा रविकीर्ति के लिये नन्दन-वन में पार्व के समवशरण के आगमन की सूचना
अपनी ध्वनि से उपदेश देने वाले तथा चतुर्विध देवों द्वारा रचाये गये उत्सवों के मध्य जय-जयकार कर निर्मल कैवल्य रूपी कामिनी के वर स्वरूप त्रिभुवन पति पार्श्व स्वामी के समवशरण का आगमन जानकर उस नन्दनवन उद्यान के वनपाल ने स्फुरायमान होकर तुरन्त ही नराधिप रविकीर्ति के पास जाकर विनती की कि हे नृप, पुण्य कीजिए, सदा प्रसन्न रहिए, उच्चतम सिंहासन पर विराजमान रहिए।
हे देव, मन को सावधान कर सुनिए, जिनके चरणों की कान्ति में खचर देव झुकते हैं, (1) नभस्तल में सुन्दर दुन्दुभि-बाजे बजाते हैं, (प्रथम प्रातिहार्य) (2) जिनके ऊपर विशाल छत्र शोभित हो रहे हैं, (3) जिनकी दिव्यध्वनि, त्रिभुवन को प्रकाशित करने वाली है, (4) सब दिशाओं को प्रतिभासित करने वाली जिनकी भामण्डल-लक्ष्मी है, (5) मणि की किरणों से भासमान जिनका सिंहासन है, (6) आकाश से जिनके ऊपर पुष्पवृष्टि होती रहती है, (7) जिनके ऊपर अशोक वृक्ष सुशोभित हो रहा है, (8) जिनके ऊपर दुरने वाले चामरों की वायु दुःखों को दूर करती है, ऐसे आठ प्रातिहार्यों से विभूषित प्रभु पार्श्वनाथ नंदनवन के भीतर पधारे हैं।
हे नृप, आज आपके इस नन्दन-वन में देवों के द्वारा नभ में जय-जय ध्वनि करने के कारण अपूर्व-शोभा हो रही है।
घत्ता- अज्ञानान्धकार से रहित तथा तीनों लोकों को देखने-जानने वाले उन पार्श्व प्रभु के भक्त (अनुरागी) मनुष्य
गण शीघ्र ही उनकी आज्ञा को स्वीकार करते हैं।। 167 ।।
198 : पासणाहचरिउ