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रेहाहि पवरु कंधरु विहाइ मुहकमलु पदरिसिय रायरंगु बिंबासरिसाहरु हरिय चक्खु दिय-सोह धरंति सुदित्तियाइँ मयरद्धय-धणु भू-बिब्भमिल्ल
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घत्ता - जुत्तउ ललियंगिहि णिरु णिव्वंगिहि अह दीहत्तणु लोयणहँ ।
इयरह कह कंबु रसंतु ठाइ ।। इयरह कह छण ससहर- सवंगु । । इयरह कह मोहिउ दहसयक्खु ।। इयरह पियाइ कह मोत्तियाइँ ।। इयरह कह रइ समर-वरसिल्ल ।।
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On the directions of INDRA, the supreme head of the Heaven, YAKSHA (an orderly of Indra) makes in no time the capital town of Vāṇārasī as beautiful as Heaven.
इह कहदारहि जण मणु मारहि कामिय मयणुक्कोवणहँ ।। 13 ।।
सिहि-कलाव - संकास केसिया जासु कंत कंताणुरत्तिया पेक्खिऊण णयणहि मयासणं ता सुराहिवइणा वियाणियं सदिऊण जक्खं पयंपियं
रइवरेण णं भल्लि पेसिया । । वसइ गेहि सिसिरयर- दित्तिया । । कंपमाणयं तम-विणासणं । । अवहिणाणणयणेण जाणियं । । सुर- रिंद - खयराण जंपियं । ।
मुख-कमल अपने रागरंग को प्रदर्शित करने वाला था, यदि ऐसा न होता तो सर्वांग चन्द्रमा रागरंग वाला (अर्थात् कलापूर्ण) कैसे बनता?
उसके अधर बिम्बाफल के सदृश थे, जो नेत्रों को आकर्षित करनेवाले थे, यदि ऐसा न होता तो दस सहस्रनेत्र (इन्द्र) उस पर कैसे मोहित होता? उसकी दन्तावली दीप्ति की शोभा को धारण करने वाली थी, यदि ऐसा न होता तो वे मोती के लिए प्रिय क्यों होते? उसके भू-विभ्रम का विलास तो मानों मकरध्वज का धनुष ही था, यदि ऐसा न होता तो कामदेव रति की वर्षा कैसे करता ?
घत्ता- सर्वथा निर्दोष ललितांगों से युक्त उसके लोचनों की दीर्घता उचित ही थी, अन्यथा, कामीजनों के काम की उत्कण्ठा को बढ़ाकर तथा आकर्षित कर मन को विदीर्ण कौन करता? (13)
16 :: पासणाहचरिउ
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इन्द्र के आदेशानुसार यक्ष ने वाणारसी नगरी को इन्द्रपुरी के समान सुन्दर बना दिया
उस वामादेवी का केश-कलाप मयूरपिच्छ के समान था। वह ऐसी प्रतीत होती थी, मानों कामदेव ने (उस प्रकार का केश-कलाप धारण किए हुए अपनी) एक भली सखी ही भेज दी हो। जिसका प्रियतम अपनी प्रियतमा वामारानी में अनुरक्त था और चन्द्रमा के समान दीप्त कान्ति वाली वह (वामादेवी ) जब अपने भवन में निवास कर रही थी, तभी एक दिन अन्धकार का नाश करने वाले मृगासन (सिंहासन) को अपने नेत्रों से काँपता हुआ देखकर सुराधिपति (इन्द्र) ने अपने अवधि ज्ञान रूपी नेत्र से जान लिया (-कि वामादेवी के गर्भ में कोई तीर्थंकर पुत्र आने वाला है), अतः उसने यक्ष और सुरों, नरेन्द्रों एवं खेचरों को बुलाकर कहा