________________
6/4
Arrival of Spring season. Figurative description of the natural beauty and scene and scenery. King Ravikīrti comes to his counsel-chamber with his
senior ministers to consult some urgent matter.
तओ तुरंतओ समागओ वसंतमासओ। अणंगतावसोसियाबला वसंतमासओ।। ....... चलंतचूअ-मंजरी णिबिट्ठ कीरसंकुलो। सुअंध फुल्ल रेणु रंजियालि कोइलाउलो।। जगत पूर भूरि तूर-राव रावियांबरो। सकामकामिणी जणेण पित्तभूसणंबरो।। सकुंकुमंबुधारसित्त मंदिरोरुपंगणो। णडंत अच्छरा सरिच्छरूव भाव-रंगणो।। विसाल वेल्लि मंडवंत कीलमाण कामुओ। सपोमदीहिया गहीर णीर केलि-संजुओ।। सुराव-रामिणीहिं गिज्जमाण गेय रम्मओ। गएसमामिणीजणाहँ धत्त चित्त-सम्मओ।। सफुल्ल किंसुआवलीविराइयाखिलासओ।
समाण माणिणी महंत माणं पणासओ।। 15 महीयले अजेय कामएव राय बंधओ। विचित्तफुल्लबाणजालकामिलोयविंधओ।।
6/4 वसन्त मास का आगमन : वसन्त-सौन्दर्य - वर्णन राजा रविकीर्ति अपने विश्वस्त मन्त्रियों के साथ मन्त्रणा-गृह में आता है तत्पश्चात् तुरन्त ही वसन्त मास का आगमन हुआ, जो अनंग के ताप से शोषित अबलाजनों को सन्त्रस्त करने वाला था। __ हवा के झकोरों से डोलती हुई आम्र मंजरियाँ शुक-समूह से झुकी हुई थीं, सुगंधित पुष्प-पराग से रंजित भ्रमरों के गुंजारों तथा कोयल-समूह के स्वरों ने जगत के अन्त भाग को भी भर दिया था। विविध प्रकार के तूर-वाद्यों की ध्वनियों ने आकाश को भी गुंजा डाला था। उस वसन्त मास में काम-विकार से उत्तेजित कामिनी-जन वस्त्राभूषणों से अलंकृत हो रही थी, कुंकुम मिश्रित जलधारा से भवनों के विशाल प्रांगण सींचे जा रहे थे और अप्सराओं के सदृश रूपवाली उत्तम अंगनाएँ भावोत्तेजक नृत्य कर रही थीं। एक ओर कामुक जन विशाल लतामण्डपों में क्रीडाएँ कर रहे थे, तो दूसरी ओर रसिकजन कमल-पुष्प युक्त गहरी बाबडियों के जल में क्रीडारत थे
और कहीं-कहीं रमणियों के द्वारा सुमधुर ध्वनि में मनोहारी गीत गाये जा रहे थे। ___ वह वसन्त मास, जिनके पति परदेश गए हुए हैं, उनकी पत्नियों के चित्त को अशान्त बनाने वाला, किंशुक जाति के विकसित पुष्प-समूह से समस्त दिशाओं को सुशोभित करने वाला, मानवती मानिनियों के महान् मान का प्रणाशक, महीतल में अजेय कामदेव के राग को बाँधने वाला तथा चित्र-विचित्र पुष्प-बाणों के जाल से कामीजनों को बींधने वाला था।
116:: पासणाहचरिउ