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14/पाण्डुलिपि-विज्ञान
पुस्तकालय विज्ञान : पुस्तकालय विज्ञान का भी उल्लेख करना अप्रासंगिक नहीं होगा । हस्तलेखों या पांडुलिपियां का भण्डार जहाँ भी होगा वहाँ, छोटा-मोटा पुस्तकालय स्वतः ही बन जायगा । प्राचीन काल में समस्त पुस्तकालय हस्तलेखों और पांडुलिपियों के ही होते थे। अलेक्जेण्ड्रिया, नालंदा तथा अन्य ऐसे ही प्राचीन पुस्तकालयों में सभी पुस्तकें हस्तलेखों के रूप में ही थीं। मुद्रण-यन्त्र के प्रचलन के बाद भी मुद्रित पुस्तकों के साथ हस्तलेख रहे हैं। आधुनिक काल में मुद्रित पुस्तकों के पुस्तकालय प्रधान हैं-हस्तलेखों के पुस्तकालय बहुत कम रह गये हैं। अब पाश्चात्य ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में 'आधुनिक हस्तलेखागारों' (Modern Manuscript Litrary) का एक नया आन्दोलन चला है । इन पुस्तकालयों में राज्यों, सरकारों एवं बड़े-बड़े उद्योगों के महत्त्वपूर्ण लेख, महान् व्यक्तियों के किसी भी प्रकार के हस्तलेख, पत्र, मसविदे, प्रतिवेदन, विवरण, डायरी, नत्थियाँ आदि-आदि सुरक्षित रखे जाते हैं, साथ ही इन्हें अनुसंधानकर्ताओं को पुस्तकालय द्वारा उपलब्ध भी कराया जाता है । रूथ बी. बोडिन एवं राबर्ट एम. वार्मर ने अपनी पुस्तक 'द माडर्न मैन्युस्क्रिप्ट लाइब्रेरी' में बताया है कि :----
"मैन्युस्क्रिप्ट या पांडुलिपि पुस्तकालय का अस्तित्व ही अनुसंधाता और विद्यार्थी की सेवा करने के लिये होता है।"
अतः पांडुलिपि-विज्ञान की दृष्टि से इस सेवा को प्रस्तुत करने के लिए भी पुस्तकालय-विज्ञान का सहारा अपेक्षित होता है। हस्तलेखों और पांडुलिपियों को किस प्रकार व्यवस्थित किया जाय, कैसे उनकी पंजिकाएँ रखी जायें, कैसे उनकी सामान्य सुरक्षा का ध्यान रखा जाय, कैसे उन्हें पढ़ने के लिए दिया जाय, आदि बातें वैज्ञानिक विधि से पुस्तकालय-विज्ञान ही बताता है। संग्रहालयों (Museum) और अभिलेखागारों के लिए इस विज्ञान का महत्त्व स्वयं-सिद्ध है। डिप्लोमैटिक्स
डिप्लोमेटिक्स वस्तुतः 'पट्टा-परवाना विज्ञान' है । डिप्लोमेटिक्स यूनानी शब्द 'डिप्लोमा' से व्युत्पन्न है। इसका यूनानी में अर्थ था 'मुड़ा हुआ कागज' । ऐसा कागज प्रायः राजकीय पत्रों, चार्टरों आदि में काम आता था। फलतः इसका अर्थ विशेषतया ऐसे पत्रों से जुड़ गया जो पट्टे, परवाने, लाइसेंस या डिगरी के कागज थे।
___आगे चल कर डिप्लोमेटिक्स ने विज्ञान का रूप ग्रहण कर लिया। आज इस विज्ञान का काम है प्राचीन शासकीय पट्टों-परवानों (documents), प्रमाण-पत्रों (diplomas), चारटरों एवं बुलों के लेख को उद्घाटित ( ecipherment) करना । ये परवाने शाहंशाह, पोप, राजा तथा अन्य शासकों की चांसरियों से जारी किये गये हैं। इस प्रकार यह विज्ञान पेलियोग्राफी की ही एक शाखा है।
स्पष्ट है कि 'डिप्लोमेटिक्स' विज्ञान इतिहास के उन स्रोतों का आलोचनात्मक अध्ययन करता है, जिनका सम्बन्ध अभिलेखों (rer ords या archive documents) से होता है । इन अभिलेखों में चारटर, मैनडेट डीड (सभी प्रकार के), जजमेण्ट (न्यायालयादेश) आदि सम्मिलित हैं । इन पट्टों-परवानों के लेख को समझना, उनकी प्रामाणिकता पर विचार करना, उनके जारी किये जाने की तिथियों का अन्वेषण और निर्धारण करना, साथ ही
1. Bordin, R. B. & Warner. R. M.-The Modern Manuscript Library, P. 14.
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