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क्र० विषय श्लोक | क्र० विषय श्लोक | सं० , सं० | सं०
सं० ५ कर्म के मुख्य आठ प्रकार, उतर २ स्कंध-देश-प्रदेश और परमाणुओं प्रकृतियाँ
१४६ ।। के लक्षण ६ नाम कर्म की प्रकृतियाँ १६७ | ३ परमाणु का स्वरूप, इसके चार ७ आठ प्रकार के कर्म की उत्कृष्टता | प्रकार
१४ तथा जघन्य स्थिति २६५ | ४ पुदगलों का दश प्रकार का ८ कर्मो के अबाध काल और
परिणाम (बँध परिणामआदि) २२ कर्मों के निषेक और व्याख्या २७८ | ५ इन दशं में से तीसरे प्रकार ६ जीव की पुण्य प्रकृतियाँ और
(संस्थान-परिणाम) ४८ पाप प्रकृतियाँ
.२६२ | ६ संस्थान-परिणाम के अनेकों १० घाती और भवोपग्राही (अघाती) । भेद-प्रभेद
३०० / ७ संस्थान परिणाम की आकृतियाँ ६७ . ग्यारहवां सर्ग . ८ पुदंगल का अन्य परिणाम ११३ पुदगलास्ति काय का स्वरूप; . ६. अजीव रूपी पुदगलों का ५३० . इसके पाँच प्रकार
भेद
१३० १०. शब्द परिणाम
१३६ ११ छाया आदि पौदगलिक है १३ १२ सर्ग समाप्ति
कर्म
रि
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