Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Rajkumar Jain, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan
View full book text
________________
द्वितीय वर्ग
अध्ययन १-८
१: जइ णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं भगवया महावीरेण पढमस्स वग्गस्स अयमढे पण्णत्ते, दोच्चस्स णं भंते ! वग्गस्स अंतगडदसाणं समणेणं जाव संपत्तेणं कई अज्झयणा पण्णत्ता ? एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं अट्ठ अज्झयणा पण्णत्ता । तं जहा
अक्खोभे सागरे खलु, समुद्द हिमवंत अयल णामे य । धरणे य पूरणे वि य, अभिचन्दे चेव अट्ठमए ॥
सूत्र १
जम्बू स्वामी-हे भगवन् ! श्रमण भगवान महावीर प्रभु ने प्रथम वर्ग का जो वर्णन किया है, वह मैंने सुना । अब दूसरे वर्ग में श्रमण भगवान महावीर ने कितने अध्ययन फरमाये हैं ? आर्य सुधर्मा-हे जम्बू ! श्रमण यावत् मुक्ति प्राप्त भगवान महावीर ने दूसरे वर्ग के आठ अध्ययन फरमाये हैं, जैसे कि-१. अक्षोभकुमार, २. सागर, ३. समुद्र, ४. हिमवान, ५. अचल, ६. धरण, ७. पूरण और ८. अभिचन्द्र ।
SECOND SECTION
Chapters 1 to 8 Maxim 1 :
Jambu Shami-() Reverend Sir ! Sramana Bhagawana Mahāvīra described as the first section, so I heard
१-८अध्ययन
.
३९ .
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org