Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Rajkumar Jain, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan
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इसकी विधि इस प्रकार हैसबसे पहले उपवास किया । फिर वेला किया । इसी क्रम से तेला, चोला, पचोला, छह और सात किये। या प्रथम लता हुई। फिर चोला किया, पारणा किया, इसी प्रकार पचोला, छः, सात, उपवास, बेला और तेला किया । यह दूसरी लता हुई । फिर सात किये, पारणा किया, उपवास, वेला, तेला, चोला, पचोला और छह किये यह तीसरी लता हुई । फिर तेला किया, पारणा किया, पूर्वोक्त क्रम से फिर चोला किया पारणा किया, क्रमशः पचोला, छः, सात, उपवास और बेला किया । यह चौथी लता हुई। आगे पूर्वोक्त क्रम से तप और बीच में पारणा करते हुए छः, सात, उपवास, बेला, तेला, चोला और पचोला किया । यह पांचवीं लता हुई । फिर बेला, तेला, चोला, पचोला, छः, सात और उपवास किया । यह छठी लता हुई। फिर पचोला, छः, सात, उपवास किया, बेला, तेला और चोला किया । यह सातवीं लता हुई। इस प्रकार सात लता की एक परिपाटी हुई । (देखिए चार्ट नं. ११) इसमें आठ मास और पांच दिन लगे । जिनमें उनपचास (४९) दिन पारणे के और छ: मास सोलह दिन (१९६ दिन) तपस्या के हुए । इसकी प्रथम परिपाटी में पारणों में विगय का सेवन वर्जित नहीं था । दूसरी परिपाटी में पारणे में विगय का त्याग किया । तीसरी परिपाटी में लेप मात्र का भी त्याग कर दिया और चौथी परिपाटी में, पारणे में आयम्विल किया । चारों परिपाटियों को पूर्ण करने में दो वर्ष, आठ मास और बीस (९८0) दिन लगे । उसने इस तप का (सूत्रोक्त) विधि से आराधन किया । यावत् सिद्ध गति प्राप्त की।
(सातवां अध्ययन समाप्त)
सप्तम अध्ययन
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