Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Rajkumar Jain, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan
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इनका यह कदम प्राणि-हिंसा और माँसाहार का अहिंसक प्रतिकार था। इसका यथेच्छ प्रभाव भी हुआ। आज भी गुजरात, सौराष्ट्र आदि प्रदेश मांसभक्षण से दूर हैं।
उनका मानस अहिंसा, करुणा, दया और मर्वजीव-समभाव से ओतप्रोत है। लोक-कल्याण इनके हृदय में गहरा पैठा हुआ है। स्वयं कैवल्य-प्राप्त होने पर भी सभी जग-जीवों के कल्याण के लिए प्रवचन देने हैं. मोक्षमार्ग का प्रणयन करते हैं। अनेक भव्य जीव उनकी देशना श्रवण करके. सद्धर्म का पालन करके तथा आत्म-विशुद्धि करके सिद्ध पद प्राप्त करते हैं।
उस युग में कौग्वजरासन्ध आदि ईाल और भोगाभिलापी गजाओं का वाहुल्य था। यादव वंशी क्षत्रियों में भी अनेक कुरीतियाँ प्रचलित थीं: माँसभक्षण आदि का प्रचलन था। यथा गजा तथा प्रजा के अनुसार सामान्य जनों का लक्ष्य भी भोगाभिमुखी था। अधिकांश व्यक्ति आध्यात्मिकता से विमुख थे।
तीर्थंकर अग्प्टिनेमि ने युग की इस संसाभिमुखी वृत्ति-प्रवृत्ति में दिशा परिवर्तन करके उस अध्यात्ममुखी बनाया। इसी कारण वे महान् युग-प्रवर्तक हैं।
अरिष्टनेमि और श्रीकृष्ण तीर्थंकर अग्ष्टिनेमि और श्रीकृष्ण-दोनों ही महान् युग-प्रवर्तक हैं; किन्तु दोनों का क्षेत्र पृथक-पृथक है। अरिष्टनेमि का क्षेत्र आध्यात्मिक जगत् है तो श्रीकृष्ण का क्षेत्र व्यावहारिक संसार।
इन दोनों ने एक ही वंश-हरिवंश (यादव कुल अथवा वंश) में जन्म लिया। दोनों ही परस्पर चचेरे भाई थे। अरिष्टनेमि के पिता महाराज समुद्रविजय थे और श्रीकृष्ण के पिता वसुदेव समुद्रविजय के सबसे छोटे भाई थे।
जन्म-स्थान और परिस्थितियों में अन्ना रहा, अग्प्टिनमि का जन्म शौर्यपुर (सोग्यिपुर-वर्तमान आगग नगर के निकट) में हुआ। इनके जन्म के समय स्थितियाँ अनुकूल थीं, कोई समस्या नहीं थी।
लेकिन श्रीकृष्ण का जन्म विपरीत परिस्थितियों में हुआ। उस समय उनके माता-पिता-देवकी और वसुदेव मथुग-नरेश कंस के वन्दी (नजरकैद) थे। शिशु कृष्ण के जीवन की रक्षा एक बहुत बड़ी समस्या थी। किसी प्रकार अनेक कठिनाइयों को झेलते हुए वसुदेव शिशु कृष्ण को नन्द गोप के घर पहुँचा आये। वहाँ इनका वाल्य-जीवन वीना। गाय चगते. ग्वाल-बालों के साथ क्रीड़ा करते हुए वे किशोर हुए। __ श्रीकृष्ण का जन्म तो मथुरा में हुआ; किन्तु इनका पालन-पोषण गोकुल में नन्द-पत्नी यशोदा द्वारा हुआ।
श्रीकृष्ण बचपन से ही पगक्रमी थे। उनका वल-विक्रम, पुरुषार्थ और पगक्रम वचपन में ही प्रगट हो गया। इन्हीं के मामा मथुरा-नरेश क्रूर कंस द्वारा उनके वध के लिए भेजे गये कई राक्षसी-शक्ति-सम्पन्न आततायियों को उन्होंने धराशायी कर दिया। किशोर वय में ही क्रूर कंस को यमलोक पहुँचाकर जन-जन को उसके अत्याचारों से मुक्त किया। ___ इसके उपरान्त उनका संघर्षमय जीवन प्रारम्भ हुआ। उस समय के अनेक दुर्दान्त और आतंकवादी नरेशों से भारत-भूमि को मुक्त किया।
अन्तकृद्दशा महिमा
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