Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Rajkumar Jain, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan
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tenth Āryā Mahāsenakrsnā observed consecration period for seventeen years. All these were the consorts of king Sreņika and younger step mothers of king Konika.
[Tenth chapter concluded]
उपसंहार एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं आइगरेणं जाव संपत्तेणं अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं अयमद्धे पण्णत्ते त्ति बेमि । अंतगडदसाणं अंगस्स एगो सुयक्वंधो । अट्ठवग्गा । अट्ठसु चेव दिवसेसु उद्दिसिज्जंति । तत्थ पढम बितियवग्गे दस-अट्ठ उद्देसगा । तइयवग्गे तेरस उद्देसगा । चउत्थ-पंचम वग्गे दस-दस उद्देसगा । छ? वग्गे सोलस उद्देसगा । सत्तमवग्गे तेरस उद्देसगा, अट्ठमवग्गे दस उद्देसगा । सेसं जहा णायाधम्मकहाणं । सिरि अंतगडदसांग सुत्तं समत्तं । हे जम्बू ! अपने शासन की अपेक्षा से धर्म की आदि करने वाले श्रमण भगवान महावीर स्वामी-जो मोक्ष को प्राप्त हैं, उन्होंने आठवें अंग अन्तगडदशा सूत्र का यह भाव प्ररूपित किया है । भगवान् से जैसा मैंने सुना, उसी प्रकार तुम्हें कहा है । इस अन्तकृद्दशा सूत्र में एक श्रुतस्कन्ध है, और आट वर्ग हैं । आठ दिनों में इसका वाचन होता है । इसमें प्रथम और दूसरे वर्ग के दस एवं आठ अध्ययन हैं । तीसरे वर्ग में तेरह अध्ययन (उद्देशक) हैं । चौथे और पांचवें वर्ग में दस-दस अध्ययन हैं । छठे वर्ग में सोलह अध्ययन हैं । सातवें वर्ग में तेरह और आठवें वर्ग में दस अध्ययन हैं । कुल ९० अध्ययन हैं। शेष वर्णन ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र में है ।
(श्री अन्तकृद्दशा सूत्र समाप्त)
.२८८.
अन्तकृद्दशा सूत्र : अष्टम वर्ग
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