Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Rajkumar Jain, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan
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चोतीसइमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता उत्थं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता बत्तीसइमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता
एवं ओसारेइ जाव चउत्थं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ । एक्काए कालो एक्कास मासा पण्णरस य दिवसा । चउण्हं तिण्णि वरिसा दस य मासा । सेसं तहेव जाव सिद्धा ।
अध्ययन ९
मुक्तावली तप आराधना
सूत्र १६ :
इसी प्रकार आर्या पितृसेनकृष्णा का वर्णन जानना चाहिये । वह राजा श्रेणिक की रानी और कोणिक राजा की छोटी माता थी । इन्होंने दीक्षा अंगीकार की और आर्या चन्दनबाला की आज्ञा लेकर मुक्तावली तप किया । इसकी विधि इस प्रकार है
सर्वप्रथम उपवास किया । पारणा किया । ( इसकी भी पहली परिपाटी में पारणों में विगयों का सेवन वर्जित नहीं है ।) फिर वेला किया । पारणा किया । फिर उपवास किया । पारणा किया । फिर तेला किया । इस प्रकार बीच में एक-एक उपवास करती हुई पितृसेन कृष्णा आर्या पन्द्रह उपवास तक बढ़ी । फिर उपवास । वाद में सोलह । सोलह के बाद उपवास और फिर उपवास किया ।
फिर इसी प्रकार पश्चानुपूर्वी से अर्थात् आगे बढ़े, फिर पीछे आये, फिर आगे बढ़े इस प्रकार मध्य में एक-एक उपवास करती हुई जिस प्रकार चढ़ी थी, उसी प्रकार पन्द्रह उपवास से एक उपवास तक क्रम से उतरी । इस प्रकार मुक्तावली तप की एक परिपाटी समाप्त हुई ।
नवम अध्ययन
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