Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Rajkumar Jain, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan
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तए णं अरहा अरिदुनेमी कण्हस्स वासुदेवस्स पउमावईए य जाव
धम्मकहा । परिसा पडिगया । सूत्र २
श्री सुधर्मा स्वामी ने कहा-हे जम्बू ! उस काल उस समय में द्वारका नाम की नगरी थी, जिसका वर्णन प्रथम वर्ग के प्रथम अध्ययन में किया जा चुका है । यावत् श्रीकृष्ण वासुदेव वहां राज्य कर रहे थे । श्रीकृष्ण की पद्मावती नाम की महारानी थी, जो अत्यन्त सुकुमार, सुरूपा और वर्णन करने योग्य थी । उस काल उस समय में अरिहंत अरिष्टनेमि संयम और तप से आत्मा को भावित करते हुए द्वारका नगरी में पधारे । श्री कृष्ण वंदन नमस्कार करने हेतु अपने राजप्रासाद से निकलकर प्रभु के पास पहुँचे यावत् प्रभु अरिष्टनेमि की पर्युपासना करने लगे । उस समय पद्मावती ने भगवान् के आने की खबर सुनी तो वह अत्यन्त प्रसन्न हुई । वह भी देवकी महारानी के समान धर्मरथ पर आरूढ़ होकर भगवान को वंदना करने गई । अर्हत् अरिष्टनेमि की पर्युपासना करने लगी । अरिहंत अरिष्टनेमि ने कृष्ण वासुदेव, पद्मावती देवी और जन परिषद् को धर्मोपदेश दिया, धर्मकथा कही। धर्मोपदेश एवं धर्मकथा सुनकर परिषदा अपने-अपने घर लौट गई ।
Chapter 1 Padmăvati
Maxim 2:
Sudharmā Swami uttered-O Jambū ! At that time and at that period, there was a city named Dwarakä. Its description has been given in the first chapter of first
section, until that Sri Krsna Väsudeva ruled over it. . १३२
अन्तकृदशा सूत्र : पंचम वर्ग
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