Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Rajkumar Jain, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan
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The person, who dies making a sinful resolution, even after getting the fruit according to that resolution, he cannot attain salvation. The appellation of Vasudeva is the fruit of sinful strong volition made in previous birth. Hence, in the life span of Vāsudeva no person can enter monk-order, giving up worldly pleasures.
For detailed study of sinful strong volition (nidanu) readers are suggested to see the book Antakrddaśā Mahimā.
तए णं से कण्हे वासुदेवे अरहं अरिट्ठणेमि एवं वयासी-अहं णं भंते ! इओ कालमासे कालं किच्चा कहिं गमिस्सामि ? कहिं उववज्जिस्सामि ? तए णं अरहा अरिट्ठणेमी कण्हं वासुदेवं एवं वयासी-एवं खलु कण्हा ! तुमं बारवईए णयरीए सुर-ग्गि-दीवायण-कोवणिदड्ढाए अम्मा-पिइणियग-विप्पहूणे रामेण बलदेवेण सद्धिं दाहिणवेयालिं अभिमुहे जोहिडिल्लपामोक्खाणं पंचण्हं पंडवाणं पंडुरायपुत्ताणं पासं पंडुमहुरं संपत्थिए कोसंबवणकाणणे णग्गोहवर-पायवस्स अहे पुढविसिलापट्टए पीयवत्थपच्छाइयसरीरे जराकुमारेणं तिक्वेणं कोदण्ड-विप्पमुक्केणं इसुणा वामे पाये विद्धे समाणे कालमासे कालं किच्चा तच्चाए वालुयप्पभाए
पुढवीए जाव उववज्जिहिसि । सूत्र ६ :
तब कृष्ण वासुदेव अरिहन्त अरिष्टनेमि से इस प्रकार बोले-हे भगवन् ! यहाँ से काल के समय काल करके मैं कहां जाऊँगा, कहां उत्पन्न होऊँगा ? इस पर अर्हन्त अरिष्टनेमि ने कृष्ण वासुदेव से इस प्रकार कहा-हे कृष्ण ! सुरा, अग्नि और द्वैपायन के कोप के कारण इस द्वारका नगरी के जलकर नष्ट हो जाने पर और अपने माता-पिता एवं स्वजनों का वियोग हो जाने पर तुम राम-बलदेव के साथ दक्षिणी समुद्र तट की ओर पाण्डुराजा के पुत्र युधिष्ठिर प्रमुख (भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव) इन पांचों पाण्डवों
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अन्तकृद्दशा सूत्र : पंचम सूत्र
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