Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Rajkumar Jain, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan
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अतिमुक्तकुमार की जिज्ञासा सूत्र ३४ :
इधर अतिमुक्त कुमार स्नान करके यावत्, शरीर की विभूषा करके बहुत से दारक-सामान्य लड़के-लड़कियों, डिंभक-छोटी आयु वाले वालक वालिकाओं और कुमार समान वय वाले कुमार कुमारियों के साथ अपने घर से निकले और निकलकर जहाँ इन्द्र स्थान यानी क्रीडास्थल था, वहां
आये, वहां उन वालक-वालिकाओं के साथ वे वाल सुलभ खेल खेलने लगे । Curiosity of Atimuktakumāra Maxim 34 :
Al the same time prince Atimuktakionāra ter taking hath until anointing his body, surrounded by many little hoys, girls. lads. lasses. youths-maidens came out of his house, reached Indrasthana-play ground and began to
play various types of games. सूत्र ३५ :
तए णं भगवं गोयमे पोलासपुरे णयरे उच्च-णीय जाव अडमाणे इंदट्ठाणस्स अदूरसामंतेणं वीईवयइ । तए णं से अइमुत्ते कुमारे भगवं गोयमं अदूरसामंतेणं वीईवयमाणं पासइ, पासित्ता जेणेव भगवं गोयमे तेणेव उवागए । भगवं गोयमं एवं वयासीके णं भंते ! तुब्भे, किं वा अडह ? तए णं भगवं गोयमे अइमुत्तं कुमारं एवं वयासी-“अम्हे णं देवाणुप्पिया ! समणा णिग्गंथा इरियासमिया जाव बंभयारी उच्च-णीय जाव अडामो ।” तए णं अइमुत्ते कुमारे भगवं गोयमं एवं वयासी“एह णं भंते ! तुब्भे, जण्णं अहं तुब्भं भिक्खं दवावेमि" त्ति कटु भगवं गोयमं अंगुलीए गिण्हइ ; गिण्हित्ता, जेणेव सए गिहे तेणेव उवागए ।
अन्तकृद्दशा सूत्र : षष्ठम वर्ग
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