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पचोला उपवास किया । फिर चोला, पचोला, उपवास, बेला एवं तेला किया । इस प्रकार महाकृष्णा आर्या ने लघु सर्वतोभद्र तप की पहली परिपाटी पूरी की । (देखिए चार्ट नं. १०) इस प्रकार यह लघु सर्वतोभद्र तप, कर्म की प्रथम परिपाटी तीन महीने और दस दिनों में पूर्ण होती है । इसकी सूत्रानुसार सम्यग् रीति से आराधना करके आर्या महाकृष्णा ने इसकी दूसरी परिपाटी में उपवास और विगयरहित पारणा किया । जैसे रत्नावली तप में चार परिपाटियाँ बताई गईं वैसे ही इसमे भी चार परिपाटियाँ होती हैं । पारणा भी ऐसे ही समझना चाहिये । इसकी पहली परिपाटी में पूरे सौ दिन लगे, जिनमें पच्चीस दिन पारणे के
और पिचहत्तर दिन तपस्या के हुए। क्रम से इतने ही दिन दूसरी, तीसरी एवं चौथी परिपाटी के हुए । इस तरह इन चारों परिपाटियों का सम्मिलित काल एक वर्ष, एक मास और दस दिन हुआ । पहली परिपाटी में पारणा बिना विगय त्यागे किया । दूसरी परिपाटी के पारणे में विगय का त्याग किया । तीसरी परिपाटी के पारणे में विगय के लेपमात्र का भी त्याग कर दिया । चौथी परिपाटी में आयंबिल किया । इस प्रकार इस तप की सूत्रोक्तविधि से आर्या महाकृष्णा ने आराधना की और अन्त में संलेखनाा-संथारा करके सभी कर्मों का क्षय कर सिद्ध, बुद्ध और मुक्त हो गईं।
Chapter 6 Mahākrsnā : Laghu Sarvatobhadra penance (Small fourfold penance)
Maxim 12 :
In the same way, consort of king Śreņika and younger step mother of king Konika, queen Mahākrsna also
षष्ठ अध्ययन
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