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दुवालसमं करेइ, करित्ता सबकामगुणियं पारेइ, पारित्ता चउत्थं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता दसमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता दुवालसमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता चउत्थं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता छटुं करेइ, करित्ता सय्यकामगुणियं पारेइ, पारित्ता अट्ठमं करेइ, करित्ता सव्यकामगुणियं पारेइ, पारित्ता एवं खलु एयं खुड्डाग-सव्वओभहस्स तवोकम्मस्स पढमं परिवाडिं तिहिं मासेहिं दसहिं दिवसेहिं अहासुत्तं जाव आराहित्ता । दोच्चाए परिवाडीए चउत्थं करेइ, करित्ता विगइवज्जं पारेइ, पारित्ता जहा रयणावलीए तहा एत्थ वि चत्तारि परिवाडीओ । पारणा तहेव । चउण्हं कालो संवच्छरो मासो दस य दिवसा । सेसं तहेव जाव सिद्धा ।
छठा अध्ययन महाकृष्णा : लघुसर्वतोभद्रतप सूत्र १२ :
इसी प्रकार राजा श्रेणिक की भार्या और राजा कोणिक की छोटी माता महाकृष्णा रानी ने भी भगवान के पास दीक्षा अंगीकार की । महाकृष्णा आर्या चन्दनबाला आर्या की आज्ञा लेकर "लघु सर्वतोभद्र'' तप करने लगी । उसकी विधि इस प्रकार हैसर्वप्रथम, उन्होंने उपवास किया और पारणा किया । (विगय बिना त्यागे) पारणा करके बेला किया । पारणा करके तेला किया । इसी प्रकार चोला. पचोला किया, फिर तेला, चोला, पचोला, उपवास एवं बेला किया । फिर पचोला, उपवास, बेला, तेला, चोला किया । फिर वेला, तेला, चोला,
अन्तकृद्दशा सूत्र : अष्टम वर्ग
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