Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Rajkumar Jain, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan
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सप्ताह में तीन दत्ति भोजन की और तीन पानी की, चौथे सप्ताह में चार-चार, पांचवें सप्ताह में पाँच-पाँच, छठे में छह-छह, और सातवें सप्ताह में सात दत्ति भोजन की ली जाती हैं, तथा सात ही दत्ति पानी की ग्रहण की जाती हैं ।
इस प्रकार उनचास (४९) रात - दिन में एक सौ छियानवे (१९६) भिक्षा की दत्तियाँ होती हैं ।
सुकृष्णा आर्या ने सूत्रोक्त विधि के अनुसार इसी "सप्त सप्तमिका" भिक्षु प्रतिमा तप की सम्यग् आराधना की । इसमें आहार- पानी की सम्मिलित रूप से प्रथम सप्ताह में सात दत्तियाँ हुई. दूसरे सप्ताह में चौदह तीसरे सप्ताह में इक्कीस, चौथे सप्ताह में अट्ठाईस, पाँचवें सप्ताह में पैंतीस, छठे सप्ताह में बियालीस और सातवें सप्ताह में उनचास दत्तियाँ हुईं । इस प्रकार सभी मिलाकर कुल एक सौ छियानवें (१९६) दत्तियाँ हुईं । (देखिए चार्ट नं. ६)
इस तरह सूत्रानुसार इस प्रतिमा का आराधन करके सुकृष्णा आर्या, आर्या चन्दनवाला के पास आई और उन्हें वंदन नमस्कार करके इस प्रकार बोलीहे आर्य ! आपकी आज्ञा होने पर मैं "अष्ट- अष्टमिका” भिक्षु प्रतिमा तप अंगीकार करके विचरना चाहती हूँ ।
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आर्या चन्दना ने कहा- "हे देवानुप्रिये ! जैसा तुम्हें सुख हो, वैसा करो । धर्म कार्य में प्रमाद मत करो ।"
फिर वह सुकृष्णा आर्या, चन्दना आर्या की आज्ञा प्राप्त होने पर अष्टअष्टमिका भिक्षु प्रतिमा अंगीकार करके विचरने लगी ।
इस तप में प्रथम अष्टक में एक-एक दत्ति भोजन की और एक-एक दत्ति पानी की ग्रहण की जाती है । यावत् इसी क्रम से दूसरे अष्टक में प्रतिदिन दो दत्तियाँ आहार की और दो ही दत्तियाँ पानी की ली जाती हैं । इसी प्रकार क्रम से आठवें अप्टक में आठ दत्ति आहार और आठ दत्ति पानी की ग्रहण की जाती हैं । इस प्रकार अष्ट अष्टमिका भिक्षु प्रतिमा तपस्या चौंसठ (६४) दिन-रात में पूर्ण होती है । जिसमें आहार- पानी की दो मौ अट्ठासी (२८८) दत्ति होती हैं । सुकृष्णा आर्या ने सूत्रोक्त विधि से इस अष्ट अष्टमिका प्रतिमा का आराधन किया । (देखिए चार्ट नं. ७)
पंचम अध्ययन
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