Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Rajkumar Jain, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan
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तए णं भगवं गोयमे जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागए । जाव पडिदंसेइ, पडिदंसित्ता, संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरइ । तए णं समणे भगवं महावीरे अइमुत्तस्स कुमारस्स धम्मकहा । तए णं से अइमुत्तेकुमारे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्म सोच्चा णिसम्म हद्वतुट्ठ जं णवरंदेवाणुप्पिया ! अम्मापियरो आपुच्छामि । तए णं अहं देवाणुप्पियाणं अंतिए जाव पव्वयामि ।
अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेह । सूत्र ३७ :
तब अतिमुक्त कुमार गौतम स्वामी के साथ श्रमण भगवान महावीर स्वामी के. पास आये, आकर श्रमण भगवान महावीर को तीन बार प्रदक्षिणा की
और वंदना करके पर्युपासना करने लगे । इधर गौतम भगवान महावीर के समीप आये और उन्हें लाया हुआ आहार पानी दिखा कर पारणा किया यावत् संयम तथा तप से अपनी आत्मा को भावित करते हुए विचरने लगे । तब श्रमण भगवान महावीर ने अतिमुक्त कुमार को धर्म कथा सुनाई । धर्म कथा सुनकर और उसे धारण कर अतिमुक्त कुमार बड़े प्रसन्न हुए और बोलेहे देवानुप्रिय ! मुझे आपकी धर्मदेशना बहुत ही प्रिय और रुचिकर लगी, मैं अपने माता-पिता से पूछकर फिर आपकी सेवा में श्रमण दीक्षा ग्रहण चाहता हूँ। भगवान बोले-हे देवानुप्रिय! जैसे तुम्हें सुख हो वैसे करो । पर धर्म कार्य
में प्रमाद मत करो । Maxim 37 :
Then Atimuktakumăra came to Bhagawāna Mahāvīra with Gautama Swāmī, and thrice circumabulating
अन्तकृद्दशा सूत्र : षष्टम वर्ग
.२२०.
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