Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Rajkumar Jain, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan
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तए णं सिरीदेवी भगवं गोयमं एज्जमाणं पासइ, पासित्ता हट्ठ-तुट्ठ जाव आसणाओ अब्भुट्टेइ, अब्भुट्टित्ता, जेणेव भगवं गोयमे तेणेव उवागया । भगवं गोयमं तिक्युत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करित्ता वंदइ, णमंसइ, बंदित्ता, णमंसित्ता विउलेणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं पडिलाभेइ, जाव पडिविसज्जेइ ।
सूत्र ३५ :
उस समय भगवान गौतम पोलासपुर नगर के छोटे-बड़े कुलों में यावत् भ्रमण करते हुए उस क्रीडा-स्थल के पास से जा रहे थे, तब अतिमुक्तकुमार उनको पास से जाते हुए देखकर शीघ्र ही भगवान गौतम के पास आये
और उनसे इस प्रकार वोलहे पूज्य ! आप कौन हैं. और इस तरह किसलिए घूम रहे हैं ? तब भगवान गौतम ने अतिमुक्त कुमार को इस प्रकार उत्तर दिया''देवानप्रिय ! हम श्रमण निर्ग्रन्थ, ईर्यासमिति के धारक, गुप्त ब्रह्मचारी हैं, और छोटे बड़े कुलों में भिक्षार्थ भ्रमण करते हैं।' यह सुनकर अतिमुक्त कुमार भगवान् गौतम से इस प्रकार बोले- 'हे भगवन् ! आप आओ । मैं आपको भिक्षा दिलाता हूँ।" ऐसा कहकर अतिमुक्त कुमार ने भगवान गौतम की अंगुली पकड़ी और उनको जहां अपना घर था, वहां ले आये । महारानी श्रीदेवी भगवान गौतम को आते दखकर बहुत ही प्रसन्न हुई यावत् आसन से उठकर जिधर से भगवान गौतम आ रहे थे, उनके सम्मुख आई,
और भगवान गौतम को तीन बार प्रदक्षिणा करके वंदना की, नमस्कार किया । फिर विपुल (श्रेष्ठ-उत्तम) अशन-पान-खादिम और स्वादिम से
प्रतिलाभ दिया, यावत् विधिपूर्वक विसर्जित किया । Maxim 35 :
At that time Reverend Gautama seeking alms from highlow-middle class families of Polāsapura city was passing
near that play-ground. Then watching him, passing nearby १५वाँ अध्ययन
.२१७.
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