Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Rajkumar Jain, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan
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If I be delivered from this calamity, it behoves me to follow it up; if I be not delivered from this calamity, I have already renounced all these. Decided such, Sudarśana Śresthi, accepted Sāgārī
Padimā, fast penance in aforesaid manner. सूत्र १५:
तए णं से मोग्गरपाणि जक्खे तं पलसहस्स-णिप्फण्णं अयोमयं मोग्गरं उल्लालेमाणे उल्लालेमाणे जेणेव सुदंसणे समणोवासए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता नो चेव णं संचाएइ सुदंसणं समणोवासयं तेयसा समभिपडित्तए। तए णं से मोग्गरपाणिजक्खे सुदंसणं समणोवासयं सबओ समंताओ परिघोलेमाणे परिघोलेमाणे जाहे नो चेव णं संचाएइ सुदंसणं समणोवासयं तेयसा समभिपडित्तए। ताहे सुदंसणस्स समणोवासयस्स पुरओ सपक्खि सपडिदिसिं ठिच्चा सुदंसणस्स समणोवासयं अणिमिसाए दिट्ठीए सुचिरं णिरिक्खइ । णिरिक्खित्ता अज्जुणयस्स मालागारस्स सरीरं विप्पजहाइ; विप्पज्जहित्ता तं पलसहस्सणिप्फण्णं अयोमयं मोग्गरं गहाय जामेव दिसं पाउन्भूए तामेव
दिसं पडिगए। उपसर्ग निवारण सूत्र १५:
इधर वह मुद्गरपाणि यक्ष उस हजार पल के लोहमय मुद्गर को घुमाताउछालता हुआ जहां सुदर्शन श्रमणोपासक था, वहां आया । परन्तु सुदर्शन श्रमणोपासक को अपने तेज से अभिभूत नहीं कर सका अर्थात् उसे किसी प्रकार से कष्ट नहीं पहुँचा सका । मुद्गरपाणि यक्ष सुदर्शन श्रावक के चारों ओर घूमता रहा और जब उसको अपने तेज से पराजित नहीं कर सका, उस पर मुद्गर नहीं उठा सका,
अन्तकृद्दशा सूत्र : षष्ठम वर्ग
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