Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Rajkumar Jain, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan
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श्री सुधर्मा स्वामी - हे जम्बू ! उस काल में राजगृह नाम का नगर था, वहां गुणशीलक नामक उद्यान था. उस नगर में राजा श्रेणिक राज्य करते थे, उनकी रानी का नाम चेलना था ।
उस राजगृह नगर में अर्जुन नाम का एक माली था । वह धनी ( आढ्य ) तथा अपराभूत था । उसकी पत्नी का नाम बन्धुमती था, जो अत्यन्त सुन्दर और कोमल थी ।
उस अर्जुनमाली का राजगृह नगर के बाहर एक बड़ा पुष्पाराम (फूलों का बगीचा ) था । वह बगीचा नीले एवं सघन पत्तों से आच्छादित होने के कारण आकाश में चढ़ी घनघोर घटाओ के समान श्यामकान्ति से युक्त प्रतीत होता था । उसमें पाँचों वर्णों के फूल खिले हुए थे । वह बगीचा हृदय को प्रसन्न एवं प्रफुल्लित करने वाला एवं बड़ा दर्शनीय था ।
उस पुष्पाराम यानी फुलवाड़ी के समीप ही मुद्गरपाणि नामक यक्ष का यक्षायतन (मन्दिर) था, जो उस अर्जुनमाली के पिता, पितामह आदि पूर्वजों से चली आई कुल परम्परा से सम्बन्धित था । वह पूर्णभद्र चैत्य के समान पुराना, दिव्य एवं सत्य प्रभाव वाला था ।
उसमें “मुद्गरपाणि” नामक यक्ष की एक प्रतिमा थी, जिसके हाथ में एक हजार पल-परिमाण (वर्तमान तोल के अनुसार लगभग ६२.५० सेर तदनुसार लगभग ५७ किलो) भार वाला लोहे का एक मुद्गर था ।
Maxim 4 :
Ārya Jambu said politely to Arya Sudharmă Swāmī–O Bhagawaa! I have heard the subject matter of second chapter from you, as described by Sramana Bhagawāna Mahavira. Now please tell me the subject matter of third chapter-what has he said?
तृतीय अध्ययन
Chapter 3
ARJUNA Mudgarapāņi
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