Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Rajkumar Jain, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan
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Bhagawāna Mahāvīra, like trader Mańkāi and salvated at mountain Vipula until became free from all miseries.
[Second chapter concluded)
तृतीय अध्ययन
अर्जुन मालाकार (मुद्गरपाणि) सूत्र ४ :
तच्चस्स उक्खेवओ । एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे णयरे गुणसिलए चेइए, सेणिए राया । चेल्लणा देवी । तत्थ णं रायगिहे णयरे अज्जुणए णामं मालागारे परिवसइ । अड्ढे जाव अपरिभूए । तस्स णं अज्जुणयस्स बंधुमई णामं भारिया होत्था । सुकुमाल पाणि-पाया । तस्स णं अज्जुणयस्स मालागारस्स रायगिहस्स णयरस्स बहिया एत्थ णं महं एगे पुष्फारामे होत्था । कण्हे जाव णिकुरंबभूए दसद्धवण्णकुसुमकुसुमिए, पासाइए। तस्स णं पुप्फारामस्स अदूरसामंते तत्थ णं अज्जुणयस्स मालागारस्स अज्जय-पज्जय-पिइपज्जयागए अणेगकुलपुरिस-परंपरागए मोग्गरपाणिस्स जक्खस्स जक्खाययणे होत्था । पोराणे दिव्ये, सच्चे जहा पुण्णभद्दे । तत्थ णं मोग्गरपाणिस्स पडिमा एगं महं पलसहस्स-णिप्फण्णं अयोमयं
मोग्गरं गहाय चिट्ठइ। सूत्र ४ :
आर्य जम्बू-हे भगवन ! श्रमण भगवान महावीर ने छठे वर्ग के दूसरे अध्ययन का जो भाव कहा है वह मैंने सुना । अब तीसरे अध्ययन का प्रभु ने क्या अर्थ कहा है ? कृपाकर वह भी बताइये ।
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अन्तकृद्दशा सूत्र : षष्ठम वर्ग
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