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deity Mudgarapāņi is not present here. It is only a puppet
of wood. सूत्र ९ :
तए णं से मोग्गरपाणिजक्खे अज्जुणयस्स मालागारस्स अयमेयारूवं अज्झस्थियं जाव वियाणित्ता, अज्जुणयस्स मालागारस्स सरीरयं अणुप्पविसइ, अणुप्पविसित्ता तडतडस्स बंधाई छिदइ, छिंदित्ता तं पलसहस्सणिप्फण्णं अयोमयं मोग्गरं गिण्हइ, गिण्हित्ता ते इत्थिसत्तमे छ पुरिसे घाएइ । तए णं से अज्जुणए मालागारे मोग्गरपाणिणा जक्वेणं अणाइडे समाणे रायगिहस्स णयरस्स परिपेरंतेणं कल्लाकल्लि इत्थिसत्तमे छ पुरिसे
घाएमाणे विहरइ। सूत्र ९ :
तब मुद्गरपाणि यक्ष ने अर्जुनमाली के इस प्रकार के मनोभावों को जानकर उसके शरीर में प्रवेश किया और उसके बन्धनों को तड़ातड़ तोड़ डाला । अब उस मुद्गरपाणि यक्ष से आविष्ट उस अर्जुनमाली ने उस हजार पल भार वाले लोहमय मुद्गर को हाथ में लेकर घुमाया और अपनी बंधुमती भार्या सहित उन छहों गोष्ठिक पुरुषों को उस मुद्गर प्रहार से मार डाला । इस प्रकार इन सातों प्राणियों को मारकर मुदगरपाणि यक्ष से आविष्ट (वशीभूत) वह अर्जुनमाली राजगृह नगर की बाहरी सीमा के पास चारों
ओर ६ पुरुष और १ स्त्री-कुल मिलाकर ७ प्राणियों की प्रतिदिन हत्या
करते हुए घूमने लगा। Maxim 9:
Knowing such types of mental thoughts of Arjuna garlandmaker deity Mudgarapāni entered in his body and shattered off his bonds.
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तृतीय अध्ययन
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