Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Rajkumar Jain, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan
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जेणेव गयसुकुमाले अणगारे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता गयसुकुमालस्स अणगारस्स मत्थए मट्टियाए पालिं बंधइ । बंधित्ता जलंतीओ चिययाओ फुल्लिय-किंसुयसमाणे खयरंगारे कहल्लेणं गिण्हइ । गिण्हित्ता गयसुकुमालस्स अणगारस्स मत्थए पक्खिवइ । पक्खिवित्ता भीए तओ खिप्पामेव अवक्कमइ । अवक्कमित्ता जामेव दिसं पाउन्भूए तामेव दिसं पडिगए। २९ इसलिये मुझे निश्चय ही गजसुकुमाल से इस वैर का बदला लेना चाहिये, सोमिल के मन में इस प्रकार का दुर्विचार उठा, उसने सोचा, सोचकर सब दिशाओं की ओर दूर-दूर तक देखा कि कहीं कोई उसे देख तो नहीं रहा है। चारों तरफ देखता हुआ पास के ही तालाब से थोड़ी गीली मिट्टी ली, गीली मिट्टी लेकर वहां आया, वहां आकर गजसुकुमाल मुनि के सिर पर उस मिट्टी से चारों तरफ पाल बांध देता है । पाल बांधकर पास में ही कहीं जलती हुई चिता में से फूले हुए केसू (पलाश) के समान लाल-लाल खेर के अंगारों को किसी मिट्टी के खप्पर में लेकर वह उन दहकते हुए अंगारो को गजसुकुमाल मुनि के सिर पर रख देता है । रखने के बाद (इस भय से कि कहीं कोई देख न ले) भयभीत होकर त्रस्त होकर शीघ्रता से पीछे की ओर हटा और (वहां से भागता हुआ) वह
(सोमिल) जिस ओर से आया था उसी ओर चला जाता है । Maxim 29 :
Therefore I should definitely take revenge from Gaja Sukumāla-such ill-feelings occupied the mind of Somila. He thought and after thinking he gazed at all directions upto far distance that whether any body was seeing him or not. Gazing all around he took moist clay from a nearby pond, came to the place where monk Gaja Sukumāla was, putting that clay on the head of monk, raised it on all sides.
अष्टम अध्ययन
• १०३.
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