Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Rajkumar Jain, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan
View full book text
________________
After that he took burning coals from a pyre in a piece of claypitcher and put up those burning coals on the head of monk Gaja Sukumāla. Then being frightened (fear lest anyone may see him) sharply he stepped backward and (running from there) he (Somila) went to the direction from
which he had come. सूत्र ३0:
तए णं तस्स गयसुकुमालस्स अणगारस्स सरीरयंसि वेयणा पाउन्भूया, उज्जला जाव दुरहियासा । तए णं से गयसुकुमाले अणगारे सोमिलस्स माहणस्स मणसा वि अप्पदुस्समाणे तं उज्जलं वेयणं जाव अहियासेइ । तए णं तस्स गयसुकुमालस्स अणगारस्स तं उज्जलं जाव अहियासेमाणस्स सुभेणं परिणामेणं पसत्थ-ज्झवसाणेणं तयावरणिज्जाणं कम्माणं खएणं कम्मरय-विकिरणकरं अपुवकरणं अणुप्पविट्ठस्स अणंते, अणुत्तरे जाव केवलवरनाण-दंसणे समुप्पण्णे । तओ पच्छा सिद्धे जावप्पहीणे । तत्थ णं अहासंनिहिएहिं देवेहिं सम्मं आराहियं ति कट्ठ दिव्ये सुरभिगंधोदए वुढे, दसद्धवण्णे कुसुमे णिवाडिए; चेलुक्खेवे कए,
दिव्वे य गीय-गंधव्वनिनाए कए यावि होत्था । सूत्र ३0 :
तब, सिर पर जाज्वल्यमान अंगारों के रखे जाने से गजसुकुमाल मुनि के शरीर में महा भयंकर वेदना उत्पन्न हुई, जो अत्यन्त दाहक, कर्कश, तीव्र और दुस्सह थी । इतना होने पर भी वे गजसुकमाल मुनि सोमिल ब्राह्मण पर मन से लेश मात्र भी द्वेष नहीं करते हुए उस एकान्त दुःखरूप वेदना को समभाव पूर्वक सहन करने लगे। उस समय उस एकान्त दुःखपूर्ण दुस्सह दाहक वेदना को समभाव पूर्वक सहन करते हुए शुभ परिणामों तथा प्रशस्त शुभ अध्यवसायों (भावनाओं)
के फलस्वरूप आत्मगुणों को आच्छादित करने वाले कर्मों के क्षय से, समस्त .१०४ .
अन्तकृदशा सूत्र : तृतीय वर्ग
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org