Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Rajkumar Jain, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan
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highway. On the highway she began to play with a golden (binded by golden threads) ball.
सूत्र २३ :
तेणं कालेणं तेणं समएणं अरहा अरिट्ठणेमी समोसढे परिसा णिग्गया । तए णं से कण्हे वासुदेवे इमीसे कहाए लट्ठे समाणे पहाए जाव विभूसिए । गयसुकुमालेणं कुमारेणं सद्धिं हत्थिखंधवरगए सकोरंट मल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं सेयबरचामराहिं उद्धवमाणीहिं उद्धवाणीहिं बारवईए णयरीए मज्झं मज्झेणं अरहओ अरिट्ठणेमिस्स पायवंदए णिगच्छमाणे सोमं दारियं पासइ । पासित्ता सोमाए दारियाए रूवेण य जोव्वणेण य जायविम्हिए ।
सोमा का गजसुकुमाल के लिए ग्रहण
सूत्र २३ :
उस काल उस समय में अरिहंत अरिष्टनेमि द्वारका नगरी में पधारे । परिषद धर्म देशना सुनने को आई ।
उस समय कृष्ण वासुदेव भी भगवान के शुभागमन के समाचार सुनकर स्नान आदि करके वस्त्रालंकारों से विभूषित हुए । गजसुकुमाल कुमार के साथ हाथी के हौदे पर आरूढ़ हुए । उनके गले में कोरंट पुष्पों की माला थी और मस्तक पर छत्र धारण किये हुए थे, दोनों ओर श्वेत एवं श्रेष्ठ चामर ढुल रहे थे । द्वारका नगरी के मध्य भागों से होकर अर्हत् अरिष्टनेमि के चरण-वन्दन के लिये जा रहे थे, तब राजमार्ग पर खेलती हुई उस सोमा कन्या को देखते हैं । सोमा कन्या के रूप, लावण्य और कान्ति-युक्त यौवन को देखकर कृष्ण वासुदेव अत्यन्त आश्चर्यचकित हुए । Preservation of Soma for Gaja Sukumāla
Maxim 23 :
At that time and at that period Arihanta Aristanemi came to Dwarakā. Congregation went out for listening his
sermon.
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अन्तकृद्दशा सूत्र : तृतीय वर्ग
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