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Heaving heard auspicious news of the coming of Bhagawāna, Srikrsna Vāsudeva bathed and decked and rode an elephant with Gaja Sukumäla Kumāra. Srikrsna was wearing garland of Kornta flowers and an umbrella on his head, white and best camaras were fanned on both his sides. Thus he was going through the centre of Dwārakā to bow down to Arishtnami. Then he saw Somā playing on highway. He was wonder-struck seeing the shape, youth, beauty etc., of maiden Somā.
सूत्र २४ :
तए णं से कण्हे वासुदेवे कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ सदायित्ता एवं वयासीगच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! सोमिलं माहणं जायित्ता सोमं दारियं गिण्हह-गिण्हित्ता कण्णंऽतेउरंसि पक्खिवह । तए णं एसा गयसुकुमालस्स भारिया भविस्सइ । तए णं ते कोडुबिय-पुरिसा जाव पक्खिवंति । तए णं ते कोडुंबिय-पुरिसा जाव पच्चप्पिणंति । तए णं से कण्हे वासुदेवे बारवईए णयरीए मझं मझेणं णिगच्छइ । णिगच्छित्ता जेणेव सहस्संबवणे उज्जाणे जाव पज्जुवासइ । तए णं अरहा अरिट्ठणेमी कण्हस्स वासुदेवस्स गयसुकुमालस्स कुमारस्स
तीसे य धम्म कहाए । कण्हे पडिगए । सूत्र २४ :
तब कृष्ण वासुदेव ने साथ में चलने वाले आज्ञाकारी पुरुषों को बुलाया, वुलाकर इस प्रकार कहा-हे देवानुप्रियो ! तुम सोमिल ब्राह्मण के पास जाओ और उससे इस सोमा कन्या की याचना करो । उसे प्राप्त करो और फिर उसे लेकर कन्याओं के अन्तःपुर में पहुँचा दो । समय आने पर यह सोमा कन्या, मेरे छोटे भाई गजसुकुमाल की भार्या होगी । तब श्रीकृष्ण की आज्ञा शिरोधार्य कर वे आज्ञाकारी पुरुष सोमिल ब्राह्मण के पास गये और उससे कन्या की याचना की । उससे सोमिल ब्राह्मण
अष्टम अध्ययन
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