Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Rajkumar Jain, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan
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of learning and along with he became adolescent and capable to enjoy worldly pleasures. Then knowing this state his parents married him with thirty two richmen's daughters in only one day. The maidens (young maidens) were like him, in age, colour, beauty, charm and youth.
सूत्र ४ :
तए णं से णागे गाहावई अणीयसेणस्स कुमारस्स इमं एयारूवं पीइ-दाणं दलयइ । तं जहा-बत्तीसं हिरण्णकोडीओ, जहा महब्बलस्स जाव उप्पिंपासायवरगए फुट्टमाणेहिं मुइंग-मत्थएहिं भोगभोगाइं भुंजमाणे विहरइ। तेणं कालेणं तेणं समएणं अरहा अरिडणेमी जाव समोसढे । सिरिवणे उज्जाणे अहापडिरूवं उग्गहं जाव विहरइ । परिसा णिग्गया । तए णं तस्स अणीयसेणस्स कुमारस्स तं महया जणसई जहा गोयमे तहा णवरं सामाइयमाइयाइं चोद्दसपुयाई अहिज्जइ । बीसं वासाइं परियाओ सेसं तहेव जाव सेत्तुंजे पव्यए मासियाए संलेहणाए जाव सिद्धे । एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं तच्चस्स वग्गस्स पढमस्स अज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते ।
(पढमं अज्झयणं सम्मत्तं) सूत्र ४ :
पाणिग्रहण कराने के पश्चात् उस नाग गाथापति ने अनीकसेन कुमार को इस प्रकार का प्रीतिदान किया, जैसे कि बत्तीस करोड़ चाँदी, सोना आदि । इसका विवरण महाबल के समान समझना चाहिए । यावत् इस प्रकार अनीकसेन कुमार ऊपर प्रासाद में बजती हुई मृदंगों की तालों के साथ गीत-नृत्य आदि सांसारिक सुखों को भोगते हुए रहता था ।
प्रथम अध्ययन
४७.
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