Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Rajkumar Jain, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan
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विवेचन
'अइमुत्तेणं कुमार समणेणं" पाठ से यहाँ अभिप्राय है अतिमुक्त नामक कुमार श्रमण की भविष्यवाणी से । घटना इस प्रकार है ।
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अतिमुक्त कुमार श्रमण कर के छोटे भाई थे । जिस समय कंस की पत्नी जीवयशा अपनी छोटी ननद देवकी के साथ क्रीड़ा कर रही थी उस समय अतिमुक्त कुमार जीवयशा के घर में भिक्षा के लिए गये थे । आमोद-प्रमोद में मग्न जीवयशा ने अपने देवर को मुनि के रूप में देखकर उपहास करना प्रारम्भ किया । वह बोली - " देवर जी ! आओ तुम मेरे साथ क्रीड़ा करो, इस आमोद-प्रमोद में तुम भी भाग लो ।”
इस पर मुनि अतिमुक्त कुमार जीवयशा से कहने लगे - "जीवयशे ! जिस देवकी के साथ तुम इस समय क्रीड़ा कर अपने भाग्य पर इतरा रही हो, भविष्य में इस देवकी के गर्भ से आठ पुत्र उत्पन्न होंगे । ये पुत्र इतने सुन्दर और पुण्यात्मा होंगे कि भारतवर्ष में किसी स्त्री के ऐसे पुत्र नहीं होंगे । परन्तु इस देवकी का सातवाँ पुत्र तेरे पति को मारकर आधे भारतवर्ष पर राज्य करेगा ।" यह बात देवकी देवी ने बचपन में सुनी थी । अतः इसी के समाधान हेतु उसने भगवान अरिष्टनेमि के पास जाने का निश्चय किया ।
• जहा देवाणंदा जाव पज्जुवासइ
माता देवकी का भगवान की सेवा में जाने का वर्णन भगवती सूत्र शतक ९ उद्देशक ३३ में वर्णित माता देवानन्दा की दर्शन यात्रा के समान बतलाया गया है । अर्थात् देवकी धार्मिक रथ में बैठकर द्वारका के मध्य बजारों में होती हुई नन्दन वन में पहुंची । भगवान के अतिशय को देखकर रथ से नीचे उतरी और पाँच अभिगम करके समवशरण में जाकर भगवान को विधिवत् वन्दना नमस्कार करके सेवा पर्युपासना करने लगी ।
1. The clause Aimutteṇam Kumāra Samaṇeṇam here indicates the forecast of Atimukta Kumāra-sage. The tale goes like this :
Elucidation
Atimukta Kumara-sage was the younger brother of Kamsa. When the wife of Kamsa, Jivayaśā was making amusements with Devaki (the younger sisterin-law) at that time Atimukta Kumāra-sage reached the house of Jivayaśā for
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अष्टम अध्ययन
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