Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 07 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयचन्द्रिका टी० श०८ उ०८ सू०४ सांपरायिककर्मबन्धनस्वरूपनिरूपणम् ८३ परूपयितुमाह-' तं भंते ! किं इत्थी बंधइ, पुरिसो बंधइ, तहेव जाव नोइत्थी नोपुरिस नोनपुंसओ बंधइ ? ' हे भदन्त ! तत् साम्रायिकंकर्म किं स्त्री बध्नाति ? किं वा पुरुषो बध्नाति ? तथैव ऐर्यापथिक कर्म बन्धवदेव यावत्-कि वा नपुंसको बध्नाति, किंवा स्त्रियः बध्नन्ति, पुरुषाः बध्नन्ति, नपुसकाः बध्नन्ति, अथवा नोस्त्रीनोपुरुषनो नपुंसको बध्नाति ? भगवानाह-' गोयमा ! इत्थी वि बंधइ, पुरिसो वि बंधइ, जाव नपुंसगो वि बंधइ ' हे गौतम ! सांपरायिक कर्म स्त्री अपि बध्नाति, पुरुषोऽपि वध्नाति, यावत् नपुंसकोऽपि बध्नाति, स्त्रियोऽपि बध्नन्ति, पुरुषा अपि बध्नन्ति, नपुंसका अपि बध्नन्ति, नोस्त्रीनोपुरुषनोनपुंसकोऽपि बध्नाति, इति भावः, 'अहवेएय अवगयवेयो य बंधइ ' अथवा हैं-इसमें गौतम ने प्रभु से ऐसा पूछा है (तं भंते। किं इत्थी पंधह, पुरिसो बंधइ, तहेव जाव नोइत्थी नोपुरिसो, नोनपुंसओ बंधइ ) हे भदन्त !उस साम्परायिक कर्म को क्या स्त्री यांधती है ? या पुरुष बांधता है ? या तथैव-ऐर्यापथिक कर्मबन्ध की तरह ही यावत्-नपुंसक बांधता है ? या स्त्रियां बांधती हैं ? या पुरुष बांधते हैं ? नपुंसक बांधते हैं ? अथवा जो नो स्त्री नो पुरुष नो नपुंसक है वह बांधता है ? इन प्रश्नों के उत्तर में प्रभु कहते हैं-(गोयमा ) हे गौतम ! (इत्थी वि बंधह, पुरिसो वि बंधइ, जाव नपुंसगो वि बंधइ) साम्परायिक कर्म स्त्री भी बांधती है, पुरुष भी बांधता है यावत् नपुंसक भी बांधता है, स्त्रियां भी बांधती हैं, पुरुष भी बांधते हैं, और नपुंसक भी बांधते हैं। तथा जो नो स्त्री नो पुरुष नो नपुंसक है वह भी बांधता है। (अहवा एए य अवगयवेओ य बंधा ) अथवा ये पूर्वोक्त स्त्री आदिक बांधते हैं, तथा जो पुरिसो बंधइ, तहेव जाव नो इत्थी, नो पुरिसो, नो नपुंसओ बाधइ ?" હે ભદન્ત ! આ સાંપરાયિક કર્મ શું સ્ત્રી બાંધે છે, કે પુરુષ બાંધે છે, કે નપુંસક બાંધે છે કે સ્ત્રીએ બાંધે છે? કે પુરુષે બાંધે છે કે નપુસકે બાંધે છે ? અથવા જે તે સ્ત્રી, ને પુરુષ કે ને નપુંસક હોય તે બાંધે છે ?
मडावीर प्रभुने। उत्तर-“ गोयमा !" हे गौतम ! " इत्थी वि बधइ, पुरिसो वि बधइ, जाब नपुंसगो वि बधह" सां५२॥यि में श्री ५९ सांधे છે, પુરુષ પણ બાંધે છે, નપુંસક પણ બાંધે છે, સ્ત્રીઓ પણ બાંધે છે, પુરુષે પણ બાંધે છે અને નપુંસકે પણ બાંધે છે. તથા ને સ્ત્રી, ને પુરુષ અને नन५ ५५५ ते ४भ साधे छे. (अहवा एए य अवगयीय बधइ) अथवा પક્ત સ્ત્રી આદિ જીવ પણ બાંધે છે અને વેદરહિત જીવ પણ તે કમ
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૭