Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 07 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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भगवतीचे नाम् अन्यतमस्मिन् संस्थाने भवति । स खलु भदन्त ! कतमस्मिन् उच्चत्वे भवति ? गौतम! जघन्येन रत्नौ, उत्कृष्टेन पञ्चधनुःशते भवति । स खलु भदन्त ! कतमस्मिन् आयुष्के भवति ? गौतम ! जघन्येन सातिरेकवर्षायुष्के, उत्कृष्टेन पूर्वकोटयायुष्के भवति । स खलु भदन्त ! किं सवेदको भवति ? अवेदको भवति ? गौतम ! होता है। (से णं भंते ! कयरंमि संठाणे होज्जा ) हे भदन्त ! वह अवधिज्ञानी किस संस्थानमें होता है ? (गोयमा) हे गौतम ! (छण्हं संठाणाणं अनयरे संठाणे होज्जा) ६ स्थानों में से वह किसी एक संस्थान में होता है। (से गं भंते! कयरंमि उच्चत्ते होज्जा) हे भदन्त ! वह अवधिज्ञानी कितनी ऊँचाईवाला होता है? (गोयमा) हे गौतम! (जहण्णेणं सत्तरयणीए, उक्कोसेर्ण पंच धणुसहए होज्जा) वह अवधिज्ञानी कम से कम सात हाथ की ऊँचाई वाला होता है और अधिक से अधिक पांच सौ धनुष की ऊँचाई वाला होता है। (से गं भंते ! कयामि आउए होज्जा) हे भदन्त ! वह अवधिज्ञानी कितनी आयुवाला होता है ? ( गोयमा) हे गौतम ! वह अवधिज्ञानी (जहण्णेण साइरेगट्ठवासाउए, उक्कोसेणं पुवकोडि आउए होज्जा) कम से कम कुछ अधिक आठ वर्ष की आयुवाला होता है और अधिक से अधिक एक कोटिपूर्व की आयुवाला होता है । ( से णं भंते! किं सवेदए होज्जा, अवेदए होज्जा) हे भदंत ! वह अवधिज्ञानी वेदसहित
होज्जा) गीतम! ते भवधिज्ञानी 40*मना सननवाणे होय छे. ( से ण भंते ! कयर मि संठाणे होजा १) महत! ते अवधिज्ञानी वा सस्थान ( १२) पाणी डाय छ ? (गोयमा !) 3 गौतम ! (छण्हं संठाणाण अन्नयरे संठाणे होज्जा ) ७ सस्थानोमानी । ५५ सस्थानवाणी
होय छे. ( से ण भते ! कयर मि उच्चत्ते होज्जा ? ) 3 महन्त ! ते सवविज्ञान की अयवाणा हाय छ ? ( गोयमा ! ) गौतम ! ( जहण्णेण सत्तरयणीए, उक्कोसेणं च धणु पइए होज्जा ) ते अवधिज्ञानानी माछामा छ। ઊંચાઈ સાત હાથની અને વધારેમાં વધારે ઊંચાઈ ૫૦૦ ધનુષપ્રમાણ હોય छ. ( से ण भंते ! कयमि आउए होज्जा १ ) 8 महन्त ! मधिज्ञानी
सा मायुष्यवाणी डाय छ ? ( गोयमा ! ) 3 गौतम ! ( जहण्णेणं साइरे. गवासाउए, उक्कोसेणं पुव्वकोडी आउए होज्जा) ते भवधिज्ञानानुं सामने ઓછું આયુષ્ય આઠ વર્ષ કરતાં થોડું વધારે હોય છે અને વધારેમાં વધારે मायुष्य मे टिपून डाय छे. ( से ण भते ! कि सवेदर होजा, अवेदए
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૭