Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 07 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 711
________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका ० १ ३०३१ सू.३ अश्रुत्वाधिज्ञानिनो लेश्यादिनिरूपणम् ६९९ भगवानाह - ' गोयमा ! छन्हं संठाणाणं अण्णयरे संठाणे होजा हे गौतम! स प्रतिपन्नावधिज्ञानः पुरुषः पण्णां संस्थानानां मध्ये अन्यतमस्मिन् एकस्मिन् संस्थाने भवति । गौतमः पृच्छति से णं भंते! कयरंमि उच्चते होज्जा ?' हे भदन्त ! स खल प्रतिपन्नावधिज्ञानी तस्मिन उच्चत्वे ऊर्ध्वस्वे भवति ? भगवानाह - 'गोयमा ! जहोणं सत्तरयणीए, उको सेणं पंचधणुसयए होज्जा' हे गौतम! स प्रतिपन्नावधि - ज्ञानो जघन्येन सप्तरौ सप्तरनिप्रमाण इत्यर्थः भवति, उत्कृष्टेन तु पञ्चधनुः शतके पञ्चशतधनुःप्रमाण भवति । गौतमः पृच्छति' से णं भंते! कयरंमि आउ हाज्जा ? ' हे भदन्त ! स खलु प्रतिपन्नावधिज्ञानः कतमस्मिन् आयुष्केभवति कियदायुको भवति ? इति भावः, भगवानाह - ' गोयमा ! जहणेणं साइरे 1 हे गौतम! (छहं संठणाणं अन्नयरे संठाणे होज्जा) वह प्रतिपन्न अवधिज्ञानवाला विभंगज्ञानी छह संस्थानों में से किसी एक संस्थान में होता अब गौतमस्वामी प्रभु से ऐसा पूछते हैं - ( से णं भंते! कयरंमि उच्चत्ते होज्जा ) हे भदन्त ! वह प्रतिपन्न अवधिज्ञान वाला विभंगज्ञानी कितनी ऊँचाई में होता है ? उत्तर में प्रभु कहते हैं - ( गोयमा) हे गौतम! ( जहणेणं सत्तरयणीए उक्को सेणं पंचधणुसइए होज्जा) वह प्रतिपन अवधिज्ञानवाला विभंगज्ञानी जघन्य से सात हाथ की ऊँचाई में और उत्कृष्ट से पांचसौ धनुष की ऊँचाई में होता है । अब गौतमस्वामी प्रभु से ऐसा पूछते हैं - ( से णं भंते! कयरंमि आउ होज्जा ) हे भदन्त ! वह प्रतिपन्न अवधिज्ञानवाला विभंगज्ञानी किस आयुष्क में होता है ? अर्थात् कितनी आयु में होता है ? इसके महावीर प्रभुना उत्तर- " गोयमा ! " हे गौतम! ( छन्हं संठाणाण' अन्नयरे ठाणे होज्जा ) सेवा छ प्रारनामे संस्थाना उद्या छे, तेमांथी કોઈ પણ એક સંસ્થાનથી યુક્ત હોય છે. गौतम स्वाभीना प्रश्न - ( से णं भंते ! कयर' मि उच्चन्ते होना ) डे સદન્ત ! તે પ્રતિપન્ન અવધિજ્ઞાનવાળા વિભ’ગજ્ઞાની કેટલી ઊ'ચાઇવાળા હોય છે ? भडावीर अलुना उत्तर- " गोयमा ! " हे गौतम ! ( जहण्णेणं सत्तरयणी, उक्कोसेणं पंचधणुसइए होज्जा ) सेवा भवनी श्रोछामां सोधी अंगाई સાત હાથપ્રમાણ અને વધારેમાં વધારે ઊંચાઈ ૫૦૦ ધનુષપ્રમાણ હોય છે. गौतम स्वामीनी प्रश्न - ( से णं भंते! कयरमि आउए होज्जा १ ) डे ભદન્ત ! તે પ્રતિપન્ન અવધિજ્ઞાનવાળા વિભગજ્ઞાનીનું આયુષ્ય કેટલું હાય છે ? श्री भगवती सूत्र : ৩

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