Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 07 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 704
________________ ६९३ भगवतीसूत्र ख्यानावरणक्रोधमानमायालोमान् क्षपयति, प्रत्याख्यानावरणक्रोधमानमायालोभान् क्षपयित्वा, संकलनक्रोधमानमायालोभान् क्षपयति, संज्वलनक्रोधमानमायालोभान् क्षपयित्वा पञ्चविधं ज्ञानावरणीयम् , नवविधं दर्शनावरणीयं, पञ्चविधम् चक्खाणकसाए कोहमाणमायालोभे खवित्ता, पच्चक्खाणावरणकोह माणमायालोभे खवित्ता संजलणकोहमाणमायालोभे खवेह, संजलण कोहमाणमायालोभे खवित्ता पंचविहं नाणावरणिज्जं नवविहं दरिसणावरणिज्ज पंचविहं अंतराइयं, तालमत्थाकडं च णं मोहणिज्ज कड कम्मरयविकरणकरं अपुव्वकरणं अणुपविट्ठस्स अणंते अणुत्तरे निव्वा. घाए, निरावरणे कसिणे पडिपुण्णे केवलवरनाणदंसणे समुप्पन्ने ) अनन्तानुबंधी क्रोध, मान, माया और लोभ इनका क्षय करके फिर वह अप्रत्याख्यान संबंधी क्रोध, मान, माया लोभ इनका क्षय करता है। अप्रत्याख्यान संबंधी क्रोध, मान, माया और लोभ इनका क्षय करके फिर वह प्रत्याख्यानावरण संबंधी क्रोध, मान, माया और लोभ इनका क्षय करता है। प्रत्याख्यानावरण संबंधी क्रोध, मान, माया और लोभ का क्षय करके फिर वह संज्वलन संबंधी क्रोध, मान, माया और लोभ इनका क्षय करता है। संज्वलन संबंधी क्रोध, मान, माया और लोभ इनका क्षय करके फिर वह पांच प्रकार के ज्ञानावरणीय कर्म को. नौ माणमाया लोमे खवेइ, अपच्चक्खाणकसाए कोहमाणमायालोभे खवित्ता, पच्च. क्खाणावरणकोहमाणमाया लोभे खवित्ता सजलण कोहमाणमाया लोभे खवेइ, संजलणकोहमाणमायालोभे खवित्ता पंचविहं नाणावरणिज्जं नवविहं दरिसणावरणिज्ज पचविहं अंतराइयं, तालमत्थाकडं च णं मोहणिज्ज कटु कम्मरयविक रणकर अपुवकरणं अणुपविठ्ठम्स अणते अणुत्तरे निवाघाए, निरावरणे कसिणे पडिपुण्णे केवलवरनाणदसणे समुप्पन्ने ) अनन्तानुमधी. थ, मान, भाया અને લેભને ક્ષય કરીને તે અપ્રત્યાખ્યાન સંબંધી ક્રોધ, માન, માયા અને લોભને ક્ષય કરે છે. અપ્રત્યાખ્યાનાવરણ સંબંધી ક્રોધ, માન, માયા અને લેભને ક્ષય કરીને પ્રત્યાખ્યાનાવરણ સંબંધી ક્રોધ, માન, માયા અને લેમને ક્ષય કરે છે. પ્રત્યાખ્યાનાવરણ સંબંધી ક્રોધ, માન, માયા અને લેભને ક્ષય કર્યા પછી તે સંજવલન સંબંધી ક્રોધ, માન, માયા અને તેમને ક્ષય કરે છે. સંજવલન સંબંધી ક્રોધ, માન, માયા અને લોભને ક્ષય કરીને પાંચ પ્રકારના જ્ઞાનાવરણીય કર્મને, નવ પ્રકારના દર્શનાવરણીય श्री.भगवती सूत्र : ७

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