Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 07 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयचन्द्रिका टीका श.८ उ.८ सू. ६ सूर्यनिरूपणम् सयतः। तत् भदन्त ! किं स्पृष्टम् अवभासयतः, अस्पृष्टम् अवभासयतः ? गौतम ! स्पृष्टम् अवभासयतः नो अस्पृष्टम् अवभासयतः, यावत नियमात् षडूदिशः । जम्बूद्वीपे खलु भदन्त ! द्वीपे सूयौँ किम् अतीतं क्षेत्रम् उद्योतयतः, एवमेव यावत् नियमात् षड्दिशः, एवं तपतः, एवं अवभासयतः यावत् नियमात् षड्दिशः। जम्बूद्वीपे शित करते हैं ? (गोयमा ) हे गौतम ! ( नो तीयं खेत्तं ओभासंति पडुप्पन्नं खेत्तं ओभासंति नो अणागय खेत्तं ओभासंति ) वे न अतीतक्षेत्र को प्रकाशित करते हैं न अनागत क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं किन्तु वर्तमान क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं। (तं भंते ! किं पुढे ओभासंति, अपुढे ओभासंति) हे भदन्त ! वे सूर्य क्या स्पृष्ट हुए क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं या अस्पृष्ट हुए क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं ? (गोयमा) हे गौतम ! (पुटुं ओभासंति, णो अपुटुं ओभासंति जाव छदिसि ) वे स्पृष्ट हुए क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं अस्पृष्ट हुए क्षेत्र को नहीं। यावत अवश्य वे छह दिशाओं को प्रकाशित करते हैं। (जंबद्दीचे णं भंते! दीवे सूरिया किं तीयं खेत्तं उज्जोवेंति ) हे भदन्त ! जम्बूद्वीप में वे सूर्य क्या अतीतक्षेत्र को उद्योतित करते हैं ? इत्यादि । (एवं चेव नियमा जाव छदिसि ) हे गौतम ! वे सूर्य अतीतक्षेत्र को अनागतक्षेत्र को उद्योतित नहीं करते हैं किन्तु वर्तमानक्षेत्र को उद्योतित करते हैं।
(गोयमा ! ) 3 गौतम ! ( नो तीय खेत्तं ओभासति, पडुप्पन्न खेतं ओभासंति, णो अणागयं खेतं ओभासंति ) ते थे। मतीत क्षेत्रने प्रशित ४२ता નથી, અનાગત ક્ષેત્રને પણ પ્રકાશિત કરતા નથી, પણ વર્તમાન ક્ષેત્રને
शित ४२ छ. ( त भंते ! किं पुढे ओभासंति, अपुद्र ओभासति ? ) ભદન્ત ! તેઓ શું પૃષ્ટ થયેલા ક્ષેત્રને પ્રકાશિત કરે છે કે અસ્કૃષ્ટ ક્ષેત્રને પ્રકાશિત કરે છે?
(गोयमा ! ) 3 गीत ! ( पुढे ओभास ति, णो अपुढे ओभासंति जाव छदिसि) तेस। स्पृष्ट थयेदा क्षेत्रने प्रशित ४२ छ, अस्पृष्ट क्षेत्रने प्रोशित ४२ता नथी. ( यावत्) तेसो छ हिशामान प्राशित ४२ छे. (जबुद्दीवेणं भंते ! दीवे सूरिया तीय खेत्तं उज्जोति ? ) 3 महन्त ! दीपम सूर्या शुमतीत क्षेत्रने धोतित ४२ छ ? छत्याहि प्रश्नो अड ४२११. “ एवं चेव नियमा जाव छद्दिसि” गीतम! तमे। मतीत क्षेत्रने से मनायत क्षेत्रने ઉદ્યતિત કરતા નથી, પરંતુ વર્તમાન ક્ષેત્રને ઉદ્યોતિત કરે છે. (થાવત્ ) तमा अवश्य छ हिशामान धोतित ४२ छ. “ एवं तवेंति, एवं भासंति
શ્રી ભગવતી સુત્ર : ૭.