Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 07 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेवश्चन्द्रिका टी० श० ८ उ० ८ सू० ६ सूर्यनिरूपणम् सूर्यस्य व्यवहितत्वात् तथापि उदयास्तमनप्रतीत्यपेक्षया व्यवहितं मन्यते इति तत्र किं कारणमिति । प्रष्टुराशयः उक्त मेवाह-' अत्यमग हुत्तसि ट्रे य, मूले य दीसंति ?' अस्तमनमुहूर्ते अस्तमनवेलायां दूरे व्यवहिते देशे च वर्तमानावपि सूयौं मूले च आसन्ने निकटे दृश्यते प्रतीयेते ज्ञायते इत्यर्थः, तत्र किं कारणमिति प्रश्नः, भगवानाह-'हंता गोयमा ! जंबुद्दीवे गं दीवे मूरिया उग्गमगमुहुत्तंसि दूरे य, त चेव जाव अत्थमणमुहुत्तंसि दुरे य, मूले य दीसंति ' हे गौतम ! इन्त, सत्यम् जम्बूद्वीपे खलु द्वीपे-मध्यजम्बूद्वीपे भयौं उद्गमनमुहूर्ते उदयकाले 'दूरे च ' दर्शकस्थानापेक्षया व्यरहिते देशे च वर्तमानावपि तदेव पूर्वपक्षोक्तरीत्यैव यावत् दृष्टा उदय होने के समय में और अस्त होने के समय में हजारों योजन दूर सूर्य को देखता है पर उसे ऐसा लगता है कि भूर्य पास में है। मध्याह्न समय में सूर्य दृष्टा के स्थान की अपेक्षा पास में होता है-तष भी उसे सूर्य दूर है ऐसा लगता है । दृष्टा उदय और अस्त समय की अपेक्षा मध्याह्न में सूर्य को पास में देखता है-क्यों कि उस समय सूर्य आठसौ योजन के अन्तर पर होता है, पर उसे उदय और अस्त की अपेक्षा वह दूर मानता है-सो इसका क्या कारण है ? ऐसा प्रश्न करने वालों का आशय है-इसी उक्त बात को सूत्रकार ने (अस्थमण मुहु. तंसि दूरे य, मूले य दीति) इस सूत्रपाठ द्वारा व्यक्त किया है कि अस्तकाल में सूर्य दूर रहता है-पर वह मूल पास में दिखता है। सो इसमें क्या कारण है ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-(हंता गोयमा) हां गौतम ! यात तो ऐसी ही है, कि (जंबु दीवे ण दीवे सूरिया उग्ग
સમીપમાં જ છે. ઉદય અને અસ્તકાળે દૃષ્ટા હજારો યેજન દૂર રહેલા સૂર્યને જોવે છે, ત્યારે તેને એવો ભાસ થાય છે કે સૂર્ય પોતાની નજીકમાં જ છે. મધ્યાહ્ન સમયે દુષ્ટાના સ્થાનની અપેક્ષાએ સૂર્ય નજીકમાં જ (૮૦૦ એજન દ્વર) હેય છે, છતાં પણ તેને તે દૂર હોવાને ભાસ થાય છે. ખરી રીતે તે ઉદય અને અસ્તની અપેક્ષાએ મધ્યાહુનકાળે સૂર્ય વધારે નજીકમાં હોય છે, છતાં દેખનારને મધ્યાકાળે તે વધારે દૂર લાગે છે. તેનું કારણ જાણવાના भाशयथी । प्रश्न पूछामा माव्य छ, १ पातने सूत्रारे “ अत्थमणमुहुत्तंसि दूरे य मुले य दीसंति" मा सूत्रा। प्र४८ ४२१ -मस्ताणे सूर्य' દૂર હોય છે પણ નજીકમાં દેખાય છે તેનું કારણ શું છે?
तेने। उत्त२ ॥५त: मडावी२ प्रभु ४ छ-" हता, गोयमा ! " &ी, गौतम ! मे मने छ : (जबूहीवेणं दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तंसि दूरेय
श्री.भगवती सूत्र : ७