Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 07 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 645
________________ प्रमेयचन्द्रिका 0 ०९ ३० ३१ सू० १ अश्रुत्वाधर्मादिलामनिरूपणम् ६३३ च्छन् , यस्य खलु यतनावरणीयानां कर्मणां क्षयोपशमो नो कृतो भवति, स खलु अश्रुत्वा केवलिनो वा यावत् नो संयच्छेत् , तत् तेनार्थेन गौतम ! यावत् अस्त्येककः नो संयच्छेत् । अश्रुत्वा खलु भदन्त ! केवलिनो वा यावत् उवासिकाया वा केव (गोयमा) हे गौतम! (जस्स णं जयणावरणिज्जाणं कम्माणं खओव. समे कडे भवइ, से णं असोच्चा णं केवलिस्स वा जाव केवलेणं संज मेणं संजमेज्जा, जस्स णं जयणावरणिज्जाणं कम्माणं स्वओवसमे नो कडे भवइ, से णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव नो संजमेज्जा-से तेणटेणं गोयमा ! जाव अत्थेगइए नो संजमेज्जा) जिस जीव के यतनाव वरणीय कर्मों का क्षयोपशम होता है उस जीव के केवली से अथवा यावत् उनके पक्ष की उपासिका से केवलिप्रज्ञप्त धर्म का श्रवण किये विना भी संयम से संयमयतना होती है और जिस जीव के यतनाव. रणीय कर्मों का क्षयोपशम नहीं होता है उस जीव के केवली से या यावत् केवली के पक्ष की उपासिका से केवलिप्रज्ञप्त धर्म का श्रवण किये विना संयम से संयमयतना नहीं होती है। इस कारण हे गौतम! मैंने यावत् कोई जीव संयमद्वारा संयमयतना नहीं कर सकता है ऐसा कहा है। (असोच्चा णं भंते ! केवलिस्त वा जाव उवासियाए था (गोयमा !) गौतम ! ( जस्सण जयणावरणिज्जाण कम्माण खओवसमें कडे भवइ, से ण असोच्चाण केवलिस्स वा जाव केवलेण संजमेण संजमेज्जा जस्स ण जयणावरणिज्जाण कम्माण खओवसमे नो कडे भवइ, से गं असोच्चा केवलिस्स वा जाव नो संजमेज्जा-से तेणट्रेणं गोयमा ! जाव अत्थे. गइए नो संजमेज्जा) ने अपना यतना१२jीय भाना क्षयोपशम यो डाय છે. તે જીવ કેવલી પાસેથી અથવા તેમની ઉપાસિકા પર્યન્તની કોઈ પણ વ્યકિત પાસેથી કેવવિપ્રજ્ઞપ્ત ધર્મનું શ્રવણ કર્યા વિના પણ સંયમ દ્વારા સંયમયતના કરી શકે છે, પરંતુ જે જીવના યતનાવરણીય કર્મોને ક્ષયોપશમ થયે હોતે નથી, તે જીવ કેવલી પાસેથી અથવા તેમના પક્ષની ઉપાસિક પર્વતની કઈ વ્યક્તિ પાસેથી કેવલિપ્રજ્ઞસ ધર્મનું શ્રવણ કર્યા વિના સંયમ દ્વારા સંયમયતના કરી શકતો નથી. હે ગૌતમ ! તે કારણે મેં એવું કહ્યું છે કે કોઈ જીવ કેવલી આદિ પાસે કેવલિપ્રજ્ઞપ્ત ધર્મનું શ્રવણ કર્યા વિના પણ સંયમદ્વારા સંયમયતના કરી શકે છે અને કોઈ જીવ એ પ્રમાણે કર્યા વિના સંયમદ્વારા સંયમયતના કરી શકો નથી. भ८० श्री.भगवती सूत्र : ७

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