Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 07 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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भगवती सूत्रे
टीका - ' लवणे णं भंते । समुद्दे केवइया चंदा पभासिसुवा, पभासिंति वा, पमासिस्संति वा ?' गौतमः पृच्छति - हे भदन्त । लवणे खलु समुद्रे कियन्तश्चन्द्राः प्राभाषित वा, प्रभासन्ते वा प्रभासिष्यन्ते वा ? ' एवं जहा जीवाभिगमे एवं वक्ष्यमाणरीत्या यथा जीवाभिगमसूत्रे लवणसमुद्रादौ चन्द्रादिज्योतिष्क विषयकवक्तव्यता उक्ता तथा अत्रापि लवणसमुद्रादौ चन्द्रादिमकाशादि विषयक वक्तव्यता
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शोभा को विस्तारा है, विस्तारते हैं और विस्तारेंगे यहां तक कहना चाहिये। हे भदन्त ! आपके द्वारा कहा गया यह सब विषय सर्वथा सत्य है, हे भदन्त ! आपके द्वारा कहा गया यह सब विषय सर्वथा सत्य है इस प्रकार कहकर वे गौतम यावत् अपने स्थान पर विराजमान हो गये ।
टीकार्थ - यहां ज्योतिष्कों का प्रकरण चल रहा है अतः लवण समुद्र आदिकों में चन्द्रादि ज्योतिष्कों की वक्तव्यता इस सूत्र द्वारा सूत्रकार ने कही है इसमें गौतम ने प्रभु से ऐसा पूछा है ( लवणे णं भंते! समुद्दे केवइया चंदा पभासिंसु वा पभासिंति वा, पभासिस्तंति वा) हे भदन्त ! लवण समुद्र में कितने चन्द्रमा प्रकाशित हुए हैं, कितने वहां वर्तमान में प्रकाश करते हैं और आगे भी वहां कितने चन्द्रमा प्रकाश करेंगें ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं - ( एवं जहा जीवाभिगमे ) हे गौतम! वक्ष्यमाणरीति के अनुसार- जैसा जीवाभिगम सूत्र में लवणसमुद्र आदिकों में चन्द्रा दे ज्योतिष्क विषयक वक्तव्यता कही गई है उसी तरह से वह चन्द्रादिप्रकाश विषयवक्तव्यता यहां पर भी लव
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તેઓ શાભતા હતા, શાલે છે અને શાલશે. ” આ કથન પન્તનું સમસ્ત કથન અહી” ગ્રહણુ કરવુ જોઇએ. હે ભદન્ત ! આપની વાત સાચી છે. હું ભદન્ત ! આપે આ વિષયનું જે પ્રતિપાદન કર્યું તે સથા સત્ય છે. આ પ્રમાણે કહીને પ્રભુને વંદણા નમસ્કાર કરીને ગૌતમ સ્વામી તેમને સ્થાને બેસી ગયા. ટીકા ન્ત્યાતિષિકાના અધિકાર ચાલી રહ્યો હાવાથી સૂત્રકારે લવણુ સમુદ્ર વગેરેમાં ચન્દ્રાદિ જ્યેાતિષિકાની વક્તવ્યતાનું આ સૂત્ર દ્વારા કથન કર્યું છે. गौतम स्वाभीनो प्रश्न – ( लवणेणं भते ! समुद्दे के इया चंदा पभासिसुवा, पभासिति वा, पभासित्संति वा १) हे लहन्त ! सवगु समुद्रमां लूतअजभां કેટલા ચન્દ્રમા પ્રકાશતા હતા ? વમાનમાં કેટલા ચન્દ્રમા પ્રકાશે છે ? ભવિ જ્યમાં કેટલા ચન્દ્રમા પ્રકાશશે ?
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महावीर अलुना उत्तर - ( एवं जहा जीवाभिगमे ) ભિગમ સૂત્રમાં લવણુ સમુદ્રાદિકામાં ચન્દ્રાદિ
જ્યેાતિષિ
श्री भगवती सूत्र : ৩
हे गौतम! - વિષયક જેવી વતુ.