Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 07 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयचन्द्रिका टीश) ९ ३०२ सू०२ जम्बूद्वीपसूर्य चन्द्र विवक्तव्यता ६०१ इत्यादि प्रश्ने उत्तरंतु-'संखेज्जा चंदा पभासिसु वा३' हे गौतम ! पुष्करोदे समुद्रे संख्याताश्चन्द्राःप्राभासिषत वा, प्रभासन्ले वा, प्रभासिष्यन्ते वा, तदवधिमाह-'जाव सयंभूरमणे जाव सोभं सोभिंसु वा, सोभंति वा, सोभिस्संति वा' यावत् स्वयम्भूरमणे समुद्रे यावत्-असंख्याताश्चन्द्राः प्राभासिषत वा ३, एवमेव सूर्या अपि असंख्याता अतापयन् वा, तापयन्ति वा, तापयिष्यन्ति वा, एवं ग्रहणक्षत्रतारागणा असंख्याता एव यथासंभवं शोभाममयन् वा, शोभयन्ति वा, शोभयिष्यन्ति था। द्वीपसमुद्रनामानि चेस्थम्-पुष्करोदसमुद्रादनन्तरो वरुणवरो द्वीपः, तदनन्तरं वरुणोदः दिरूप से पूछने पर प्रभु ने उनसे कहा-(संखेजा चंदा पभासिंसु वा ३) हे गौतम ! पुष्करोद समुद्र में संख्यात चन्द्रमाओं ने प्रकाश किया है, अब भी वहां पर वे प्रकाश करते हैं और आगे भी वे वहां पर प्रकाश करेंगे। इनके प्रकाश करने का संबंध कहां तक लेना चाहिये-इसके उत्तर में उसकी अवधि बताते हुए सूत्रकार कहते हैं कि (जाव सयंभू रमणे जाव सोभं सोभिसु वा, सोभंति वा, सोभिस्संति वा ) यहाँ तक प्रकाश करने का संबंध लगा लेना चाहिये। अर्थात् यावत् स्वयंभूरम
समुद्र में ज्योतिष्क संबंधी असंख्यात चन्द्रों ने प्रकाश किया है, वहां वे प्रकाश करते हैं आगे भी वहीं वे प्रकाश करेंगे। इसी तरह से असंख्यात सूर्यों ने वहां अपना आतप फैलाया है, अब भी वे वहाँ अपना आतप फैलाते हैं, और आगे भी वे वहां अपना आतप फैलावेंगे। इसी तरह से असंख्यात, ग्रह, नक्षत्र और तारागणों ने भी यथासंभव वहां की शोभा को सुशोभित किया है, करते हैं और आगे भी वे वहां शोभा को सुशोभित करेंगे। द्वीप
मडावीर प्रसुनी उत्तर --" संखेजा चंदा पभासिसु वा ३) ॐ गौतम ! પુષ્કરદ સમુદ્રમાં પહેલા સંખ્યાત ચન્દ્રમાં પ્રકાશતા હતા, વર્તમાનમાં પણ तसा या प्राश छ भने भविष्यमा ५ प्रशत। २री. ( जाव सयंभू रमणे जाव सोमं सोभिंसु वा, सोभंति वा, सोभिस्संति वा ) २५ भूरभर समुद्र પર્યન્તનાં સ્થાનમાં જ્યોતિષ્ક સંબંધી અસંખ્યાત ચન્દ્રો પિતાને પ્રકાશ ફેલાવતા હતા, વર્તમાનમાં પણ ફેલાવે છે અને ભવિષ્યમાં પણ ફેલાવશે. એજ પ્રમાણે અસંખ્યાત સૂર્યો ભૂતકાળમાં ત્યાં તપતા હતા, વર્તમાનમાં તપે છે અને ભવિષ્યમાં પણ તપશે. એ જ પ્રમાણે અસંખ્યાત ગ્રહ, નક્ષત્રે અને તારાગણે પણ ત્યાં શોભા વધારતા હતા, વર્તમાનમાં શોભા વધારે છે છે અને ભવિષ્યમાં પણ શોભા વધારતા રહેશે. દ્વીપ સમુદ્રોનાં નામ નીચે भ ७६
श्री.भगवती सूत्र : ७