Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 07 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयचन्द्रिका टी० श०८ उ०९ सू०७ आहारकशरीरप्रयोगबन्धनिरूपणम् ३५३ कतिविधः प्रज्ञप्तः ? भगवानाह- गोयमा ! एगागारे पण्णत्ते' हे गौतम ! आहारकशरीरप्रयोगवन्धः एकाकारः एकप्रकार एवं प्रज्ञप्ता, नतु औदारिकादिशरीरप्रयोगवन्धवदे केन्द्रियाद्यनेकपकारक इति भावः । गौतमः पृच्छति-' जइ एगागारे पण्णत्ते किं मणुस्साहारगसरीरप्पओगवंधे ? किं अमणुस्साहारगसरीरप्पओगबंधे ?' हे भदन्त ! यः एकाकार आहारकशरीरप्रयोगवन्धः प्रज्ञप्तः स किम् मनुष्याहारकशरीरप्रयोगवन्धः ? किं वा अमनुष्याहारकशरीरप्रयोगवन्धः प्रज्ञप्तः ? भगवानाहयोगबंध कितने प्रकार का कहा गया है ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं -(गोयमा ) हे गौतम ! (एगागारे पण्णत्ते) आहारकशरीरप्रयोगपंध एक प्रकार का ही कहा गया है । औदारिक आदि प्रयोगबंध की तरह एकेन्द्रियादिरूप अनेक प्रकार का नहीं कहा गया है। तात्पर्य कहने का यह है कि एकेन्द्रिय से लेकर समस्त पंचेन्द्रिय जीवों के औदारिक शरीर होता है-अतः भिन्न जातिवालों में होने के कारण इसमें भिन्नता -अनेक प्रकारता आती है-इस तरह की अनेक प्रकारता इस आहारक शरीरप्रयोगबंध में नहीं है क्यों कि यह मनुष्य के ही होता है इसी विषय को स्पष्ट करने के लिये गौतमस्वामी प्रभु से पूछते हैं-(जइ एगागारे पण्णत्ते किं मणुस्साहारगसरीरप्पओगबंधे अमणुस्साहारगसरीरप्पओगप'धे ) हे भदन्त ! यदि वह आहारक शरीरप्रयोगबंध एक ही प्रकार का कहा गया है तो क्या वह मनुष्य का आहारकशरीरप्रयो. गबंध एक प्रकार का कहा गया है ? या अमनुष्य का आहारक शरीरप्रयोगध एक प्रकार का कहा गया है ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं
महावीर प्रभुने। उत्त२-" गोयमा ! " है गौतम! " अगागारे पण्णत्ते" આહારક શરીર પ્રયોગબંધ એક જ પ્રકારને કહ્યા છે. ઔદારિક આદિ પ્રગબંધની જેમ એકેન્દ્રિયાદિરૂપ અનેક પ્રકારને તે હેતું નથી. આ કથનનું તાત્પર્ય એ છે કે એકેન્દ્રિયથી લઈને સમસ્ત પંચેન્દ્રિય પર્યન્તના જીવને ઔદારિક શરીર હોય છે. ભિન્ન ભિન્ન જાતિવાળાઓમાં હોવાથી તેમાં ભિન્નતા (અનેક પ્રકારતા) આવી જાય છે. પણ આ પ્રકારની અનેક પ્રકારના આ આહારકશરીર પ્રયોગ બંધમાં હતી નથી કારણ કે તે બધાને મનુષ્યમાં જ સદભાવ હોય છે. આ વિષયને સ્પષ્ટ કરવા માટે ગૌતમ સ્વામી મહાવીર प्रभुने या प्रमाणे प्रश्न पूछे छ-" जइ एगागारे पण्णत्ते कि मणुस्साहारगसरीरप्पओगबधे, अमणुप्साहारगसरीरप्पओगबंधे ? 3 महन्त ! नेते माडा२४ શરીરમયોગબંધ એક જ પ્રકારના હોય, તે શું મનુષ્યને આહારક શરીરપ્રયોગબંધ
श्रीभगवतीसूत्र : ७